चुनाव का चक्कर-जनता का उत्तर १ पांच साल से हो रहा,था 'हाथी' मदमस्त दो पहियों की 'सायकिल',उसे कर गयी पस्त उसे कर गयी पस्त,'कमल' भी है कुम्हलाया गाँव गाँव में हिला 'हाथ',पर काम न आया कह घोटू कवि,अब सत्ता हो गयी 'मुलायम' ख़तम हो गया,'माया' की माया का सब भ्रम २ बहुजन हो या सर्वजन,कुछ भी दे दो नाम चाल समझती है सभी,मूरख नहीं अवाम मूरख नहीं अवाम,परख है बुरे भले की सारा भ्रष्टाचार, बन गया फांस गले की सत्ता के मद में माया इतनी पगलायी खुद के पुतले बना,बन गयी पुतली बाई
सार्थक सन्देश देती रचना .दिखावे पर प्रहार करती .होली मुबारक . भाई पुतली बाई प्रतीक बड़ा सही उठाया .
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