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सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

दीन-हीन परदेश, छकाते छोरी-छोरा

दीन-हीन परदेश, छकाते छोरी-छोरा

छोरा होरा भूनता, खूब बजावे गाल ।
हाथी के आगे नहीं, गले हाथ की दाल ।

गले हाथ की दाल, गले तक हाथी डूबा ।
कमल-नाल लिपटाय, बना वो आज अजूबा ।

करे साइकिल  रेस, हुलकता यू पी मोरा ।
दीन-हीन परदेश,  छकाते छोरी-छोरा ।। 

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