संसार के पटल में, मैं एक छवि हूँ,
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
भावना के उदगार को, व्यक्त ही तो करता हूँ,
हृदय के जज्बात को, प्रकट ही तो करता हूँ;
बस एक "दीप" हूँ, कब कहा रवि हूँ ;
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
उन्मुक्त साहित्याकाश में, बस घुमा करता हूँ,
काव्य पढता-रचता हूँ और झुमा करता हूँ;
कोशिश होती लिखने की, शब्दों का बढई हूँ,
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
Wah! aap to bahumukhi pratibha ke dhani hain!! ..
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत खूब
जवाब देंहटाएं