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मंगलवार, 17 जनवरी 2012

वो एक ख्वाब था

वो एक ख्वाब था ।
पर जो भी था, लाजवाब था ।

चंद लम्हों को आया था,
मुस्कुराहट भी लाया था ।
अंधेरे में एक किरण बनकर,
मृत शरीर में जीवन बनकर ।
जीवन के अगणित सवालों के बीच,
कई फलसफों का वो जवाब था,
वो एक ख्वाब था ।

अश्रु को मोती में बदलता,
तमस को ज्योति में बदलता ।
अपनेपन का पाठ पढ़ाता,
जीवन के हर गुर सीखाता ।
सुखे हुए सुमनों के बीच,
खिलता हुआ वो गुलाब था ।
वो एक ख्वाब था ।

वो एक ख्वाब था ।
दो पल का ही सही, वो एक रुबाब था ।
वो एक ख्वाब था ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. ख्वाब जब सुन्दर हिते हैं तो उनके मायेने बदल जाते हैं..
    kalamdaan.blogspot.com

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  2. बेहतरीन प्रस्‍तुति
    कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, जिन्‍दगी की बातें ... !

    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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