औरतें ,फूल जैसी होती है
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औरतें फूलों की तरह होती है,
कभी जूही सी नाजुक,
कभी चमेली सी अलबेली,
कभी मोगरे सी मादक,
कभी गेंदे सी गठीली,
कभी गुलाब की रंगत लिए महकती,
मगर कांटे वाली डालियों पर पलती,
सबकी अपनी अपनी खुशबू होती है
और जब शबाब पर होती है,
मादक महक फैलाती है
सबको लुभाती है
पर जब किसी देवता पर चढ़ जाती है
तो सूरजमुखी की तरह,
सिर्फ अपने उसी देव,
सूरज को निहारती है
उसी पर सारा प्यार बरसाती है
और अपने बीजों को,
स्निग्धता से सरसाती है
और फिर बड़ी होकर,
गोभी के फूल की तरह,
सिर्फ खाने पकाने के काम में आती है
पहले भी फूल थी,
और फूल अब भी कहलाती है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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औरतें फूलों की तरह होती है,
कभी जूही सी नाजुक,
कभी चमेली सी अलबेली,
कभी मोगरे सी मादक,
कभी गेंदे सी गठीली,
कभी गुलाब की रंगत लिए महकती,
मगर कांटे वाली डालियों पर पलती,
सबकी अपनी अपनी खुशबू होती है
और जब शबाब पर होती है,
मादक महक फैलाती है
सबको लुभाती है
पर जब किसी देवता पर चढ़ जाती है
तो सूरजमुखी की तरह,
सिर्फ अपने उसी देव,
सूरज को निहारती है
उसी पर सारा प्यार बरसाती है
और अपने बीजों को,
स्निग्धता से सरसाती है
और फिर बड़ी होकर,
गोभी के फूल की तरह,
सिर्फ खाने पकाने के काम में आती है
पहले भी फूल थी,
और फूल अब भी कहलाती है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई.
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