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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अमृता प्रीतम की कविता और उनकी धरोहर को बचाने की अपील

अमृता प्रीतम जी का एक लोकप्रिय उपन्यास है ‘एक थी सारा’ इस उपन्यास के संबंध में अमृता जी ने अपनी जीवनी में लिखा था कि यह एक सच्ची कहानी थी उन्होंने सारा के साथ खतोकिताबत की बात भी स्वीकारी है और लिखा है सारा का पहला खत जो मुझे मिला 1980 में उस पर 16 सितम्बर की तारीख थी लिखा था अमृता बाजी! मेरे तमाम सूरज आपके। मेेरे परिन्दों की शाम भी चुरा ली गयी है आज दुख भी रूठ गया है कहते है फैसले कभी फासलों के सुपुर्द न करना!
मैने तो फैसला आज तक नहीं देखा
यह कैसी आवाजें हैं!
जैसे रात को जले कपडों में घूम रही हैं............
जैसे कब्र पर कोई आँखें रख गया हो!
मैं दीवार के करीब मीलों चली, और इन्सानों से आजाद हो गयी
मेरा नाम कोई नहीं जानता , दुश्मन इतने वसीह क्यूँ हो गये !
मैं औरत- अपने चाँद में आसमान का पैबन्द क्यूँ लगाऊँ?
मील पत्थर ने किसका इन्तजार किया!
औरत रात में रच गई है अमृता बाजी!
आखिर खुदा अपने मन में क्यूँ नहीं रहता!
आग पूरे बदन को छू गई है
संगे मील, मीलों चलता है और साकत है.....
मैं अपनी आग में एक चाँद रखती हूँ
और नंगी आँख से मर्द कमाती हूँ
लेकिन मेरी रात मुझसे पहले जाग गई है
मैं आसमान बेचकर चांद नहीं कमाती...........
खत हाथ में पकडा रह गया ... लगा ...आसमान फरोशों की दुनिया में यह सारा नाम की लडकी कहाँ से आ गई? तो इस दुनिया में कैसे जिएगी? चाहा इसे दिल में छिपा लूँ.......- और यह रही धूल धूसरित मकान की आज की सूरत स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास के25 हौज खास को बचाकर उसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोने के लिये अनेक साहित्य प्रेमियों द्वारा माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य एवं दिल्ली सरकार से अनुरोध किया है। ऐसा विश्वास है कि इस मुहिम का असर अवश्य ही होगा । फिलहाल इस मुहिम में शामिल लोगों के प्रयासों का हाल लिंक के रूप में आप सबके साथ साझा कर रहा हूँ साथ ही यह भी उम्मीद करूँगा कि आप भी अपना अमूल्य सहयोग देकर इस मुहिम को आगे बढाते हुये महामहिम से इस प्रकरण में हस्तक्षेप का अनुरोध अवश्य करेंगें। कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें यहाँ महामहिम राष्ट्रपति जी का लिंक यहां है ।!!!!

6 टिप्‍पणियां:

  1. जरूरी है ये ... पर अमृता जी कोई नेता नहीं हैं ... इस देश में अब बस नेताओं का ही ख्याल रहता है ...

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  2. आपकी पोस्ट सोमबार १४/११/११ को ब्लोगर्स मीट वीकली (१७)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह हिंदी भाषा की सेवा अपनी रचनाओं के द्वारा करते रहें यही कामना है /आपका "ब्लोगर्स मीट वीकली (१७) के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /आभार /

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  3. बहुत सार्थक और ज़रूरी पहल...

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"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।