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बुधवार, 30 नवंबर 2011

तो समझ लो आ गयी है सर्दियाँ

तो समझ लो आ गयी है सर्दियाँ
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बदन ठिठुराती हवा चलने लगे
और सूरज जल्द ही ढलने  लगे
छुओ पानी,तो बदन गलने  लगे
प्रियतमा की जुदाई  खलने लगे
वक़्त की रफ़्तार कुछ थमने लगे
तेल नारियल का अगर  जमने लगे
शाम होते धुंधलका छाने लगे
कोहरा भी कहर  बरपाने लगे
ठण्ड बाहर निकलना मुश्किल करे
रजाई में दुबकने को दिल करे
मन करे,लें जलेबी का जायका
साथ में हो गरम प्याला चाय का
गर्म तलते पकोड़े,ललचाये मन
गाजरों का गर्म हलवा खायें हम
शाल ,स्वेटर से सुनहरा तन ढके
धूप में तन सेकना अच्छा  लगे
तेल की मालिश कराओ  लेट कर
मुंगफलियाँ गरम खाओ, सेक कर
लगे जलने गर्म हीटर,सिगड़ीयां
तो समझ लो,आ गयी है सर्दियाँ

मदन मोहन बहेती'घोटू'

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