पृष्ठ

मंगलवार, 29 नवंबर 2011

अंधविश्वास

हमारे देश में अंधविश्वास के कारण कितनी ही जाने चली जाती हैं /इन पंडित पुजारी के द्वारा  धर्म के नाम पर पाप पुण्य का डर दिखा कर हमारे देश की गरीब जनता को कितना लूटते है /और ये सिर्फ अच्छी अच्छी बातें बोलकर अपनी तिजोरी भरते हैं ./अभी हरिद्वार में गायत्री परिवार के यज्ञ समारोह में कितने ही लोग धुऐं की घुटन के कारण हुई भगदड़ में अपनी 

जान से हाथ धो बैठे और कितने ही घायल हो गए /ऐसे ही हमेशा कुम्भ या अर्धकुम्भ के समय कुछ ना कुछ हादसे ज्यादा भीड़ के कारण हो जाते हैं और कितने ही लोगों की जान चली जाती है /जिसमे बच्चों और औरतों की संख्या ज्यादा होती है /अब इसमे किसको कितना पुण्य मिल रहा है और कितना पाप यह तो ऊपरवाला ही जाने /परन्तु उसके बाद भी हमारे धर्म के ठेकेदार यह जरुर कहते हैं की आप ने भगवान् की भक्ति में कोई कमी की होगी इसीलिए आपके साथ ये हादसा हुआ है /अगर आप इतना दान -पुण्य और करेंगे तो आपका अगला जनम बहुत अच्छा गुजरेगा /इस जनम का 

तो पता नहीं अगले जनम की बात करते हैं या मोक्ष मिल जाने का आशा बांधते हैं / और पैसे लूट कर अपना ये जनम सुधारते है /और हमारी 
अनपढ़ गरीब जनता अपनी मेहनत की कमाई मोक्ष प्राप्त होने की आशा और अपना दूसरा जनम सुधारने की आशा में इन धर्म के ठेकेदारों के चरणों में अर्पित कर देती है / और कई बार अपनी जान से भी हाथ धो बैठती है /
पता नहीं इन धर्म के ठेकेदारों द्वारा फैलाये अन्धविस्वासों के कारण कई तरह की भ्रांतियां हमारे देश के अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग ढंग से फैली हुई हैं /कहीं छोटे -छोटे बच्चों को आधा जमीन के अंदर गाडा जाता है 

कहीं ऊपर  से फेंका जाता है ,कहीं बलि तक चदा दिया जाता है / और इसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की कोशिश करे तो ये धर्म के ठेकेदार अपने स्वार्थ के कारण उसकी आवाज को साम.दाम.दंड के द्वारा दबा देते हैं /
अनपढ़ ही नहीं बल्कि पदे लिखे लोग भी साधू -संतों और गुरुओं के शिष्य बनकर उनके हाथों की कठपुतलियाँ बन जाते हैं और अपने अन्ध्विस्वास के कारण लाखों रुपया इन पर लूटाते हैं /और वो लोग बिना मेहनत किये  इन्हीं पैसों से एसो आराम की जिंदगी ब्यतीत करते  हैं / कब तक हमारे देश में लोग इन अन्ध्विस्वासों के कारण अपने लोगों की जान जोखिम में डालते रहेंगे /आज जब हमारे वैज्ञानिक चाँद पर और अंतरिक्ष में नई दुनिया बसा रहे हैं हम इन ढोंगी साधुओं की बातों में आ रहे हैं और उनको भगवान् बना रहे हैं /
जागो और देश के अनपढ़ ओर गरीब लोगों को भी जगाओ
और अपने देश में फैले इन  को अन्धविस्वासों को मिटाओ 

महा कुम्भ मेला    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।