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सोमवार, 28 नवंबर 2011

एहसास - ए- दिल


१. हंसाने वाले  मुस्कराहट  दे  ,,
खुद भी मुस्कुराते  हैं .
तो क्या यूँ  सबको रुलाने वाले भी,,,

कभी किसी के लिए आंसूं  बहाते हैं 


२.मैं हूँ उन लहरों की तरह 
जो ऊँचाई छुआ करती हैं 
मिल जातीं हैं रेत से पर 
खुद के अस्तित्व को कायम रखती हैं |


दीप्ति शर्मा 

1 टिप्पणी:

  1. दीप्ति जी सुन्दर रचना ...भले किसी के लिए आंसू अभी न बहाते हों ..कल बहाना पड़ेगा ही
    भ्रमर ५

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