पति की अनुनय को धता, कुपित होय तत्काल |
बरछी - बोल कटार - गम, सहे चोट मन - ढाल ||
पत्नी पग-पग पर परे, पल-पल पति पतियाय |
श्रीमन का मन मन्मथा, श्रीमति मति मटियाय ||
हार गले की फांस है, किया विरह-आहार |
हारहूर से तेज है, हार हूर अभिसार ||
हारहूर=मद्य
आहार-विरह=रोटी के लाले
बरछी - बोल कटार - गम, सहे चोट मन - ढाल ||
पत्नी पग-पग पर परे, पल-पल पति पतियाय |
श्रीमन का मन मन्मथा, श्रीमति मति मटियाय ||
हार गले की फांस है, किया विरह-आहार |
हारहूर से तेज है, हार हूर अभिसार ||
हारहूर=मद्य
आहार-विरह=रोटी के लाले
चमकी चपला-चंचला , छींटा छेड़ छपाक |
तेज तड़ित तन तोड़ती, तददिन तमक तड़ाक |
मुमुक्षता मुँहबाय के, माया मोह मिटाय |
मृत्यु-लोक से जाय के, महबूबा चिल्लाय ||
मुमुक्षता=मुक्ति की अभिलाषा का भाव
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