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गुरुवार, 22 सितंबर 2011

गरीब घटाते हैं--

बत्तीसी दिखलाय के, पच्चीस कमवाय के

आयोग आगे आय के, खूब हलफाते हैं |

दवा दारु नेचर से, कपडे  फटीचर  से

मुफ्तखोर टीचर से,  बच्चा पढवाते  हैं |

सेहत शिक्षा मिलगै , कपडा लत्ता सिलगै

तनिक छत हिलगै,  काहे घबराते हैं ?

गरीबी हटाओ बोल, इंदिरा भी गईं डोल,

सरकारी झाल-झोल, गरीब  घटाते हैं ||

4 टिप्‍पणियां:





  1. आदरणीय रविकर जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    क्या बात है … मस्त लिखा है -
    मुफ़्तखोर टीचर से बच्चा पढ़वाते हैं …


    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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