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बुधवार, 21 सितंबर 2011

भूकंप


भूकंप 


कब  क्या  हो  जाए कुछ पता नहीं 
यहाँ इंसान की जिंदगी की कीमत कुछ नहीं |
 आम इंसान बम विस्फोट से,दुर्घटना से, नहीं तो भूकंप के झटकों से मर जाता है 
चार दिन हल्ला मचता है .और फिर सब शांत हो जाता है | 
ना कोई बाद में उसके बारे में सोचता है,ना रोकने का उपाय करता है 
जिसके घर का कोई प्रभावित होता है वो ही परिवार रोता रह जाता है |
हम सदभावना रैली के नाम पर, कॉमनवेअल्थगेम के नाम पर करोडो खर्च कर देतें हैं |
परन्तु ऐसी दुर्घटनाएं रोकने के लिए कोई उपाय नहीं करतें है | 
आम आदमी मरे तो मरे, कुछ रुपये देने की घोषणा कर देते हैं 
और अपने कर्त्तव्य से इतिश्री कर लेते हैं  |
अगर जापान जैसी तीव्रता लिए कोई भूकंप आ गया 
तो हमारा देश की आधे से ज्यादा छेत्रों को प्रभाबित कर जाएगा |
और पता नहीं कितनी जनसंख्या और सम्पति को नष्ट कर जाएगा 
जान माल की हानि के साथ राष्ट्रीय सम्पति का भी नाश होगा |
परन्तु इसके बारे मैं कोई नहीं सोच रहा ,ना ही भूकंप निरोधी इमारतें बना रहा 
सडकों के हाल ,ट्रेफिक का हाल ,रेलों के हाल बद से बदतर हो रहा |
इसी कारण दुर्घटनाओं से कितने ही जान माल का नुक्सान हो रहा 
आम आदमी इन सब त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा या मर रहा| 
इनके सुधार पर हर साल करोडो रुपया  सरकार दे रही 
.परन्तु ये आधे से ज्यादा सुधार की जगह लोगों की जेबें भर रही |
भ्रष्टाचार ने इस देश का सत्यानाश कर दिया 
वोट की राजनीति ने नेताओं कोअपनी अपनी पार्टियों तक सीमित कर दिया |
इस देश की है बस यही है  विडम्बना ,की यहाँ है "प्रजातंत्र" 
इसलिए अब नहीं इस देश में बचा है कोई "तंत्र"| 
देश की नहीं हर नेता को बस अपनी कुर्सी की पड़ी है 
जनता बेवकूफ बनी देश का नाश इन नेताओं द्वारा होते देखती खड़ी है |
एक हो गयें हैं चोर -सिपाही, देश की हो रही तबाही |  
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए 
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान |
फिर तो चारों तरफ होगा खुशियों का साम्राज्य 
लोट आयेगा रामराज्य  |
        

1 टिप्पणी:

  1. बहुत बढ़िया रचना और सार्थक भी |
    भूकंप के एक दिन बाद ही यहाँ अधि रात को एक बस दुर्घटना हुआ जिसमे पचीस लोग सोये सोये ही हमेशा के लिए सो गए |

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