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गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025
रविवार, 26 अक्टूबर 2025
मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025
टेंशन
मेरे घर में टेंशन का कुछ काम नहीं
क्योंकि टेंशन है तो फिर आराम नहीं
इसके लिए अटेंशन देना पड़ता है
बात-बात पर ब्लड प्रेशर ना बढ़ता है
छोटी बातें सहज सुलझ जो सकती है
इस जीवन में बड़ी अहमियत रखती है
उनका करो निदान इसलिए जल्दी से
हट जाएगी परेशानियां सब जी से
अगर सवेरे आए नहीं काम वाली
परेशान हो मत दो उसको तुम गाली
परेशानियों को तुम दोगे यूं ही भगा
क्या होगा जो एक दिन पोंछा नहीं लगा
फोन करो स्वीगी को खाना मंगवा लो
मनपसंद खाना होटल का तुम खा लो
पढ़ने में यदि लगता ना मन बच्चों का
तुम टेंशन जो लोगे इससे क्या होगा
उनको इंसेंटिव दो आगे बढ़ने का
शौक उन्हें लग जाए जिससे पढ़ने का
दोस्त तुम्हारे होंगे और कुछ दुश्मन भी
कभी किसी से होगी थोड़ी अनबन भी
कोई हो नाराज खफा तुमसे काफी
होकर निसंकोच मांग लो तुम माफी
एक तुम्हारा शब्द सिर्फ सॉरी कहना
दूर तुम्हें कर देगा टेंशन से रहना
परेशानियां सुख-दुख आते जाते हैं
लोग व्यर्थ ही टेंशन से घबराते हैं
लेते यूं ही बहाना टेंशन करने का
जैसे पत्नी को टेंशन है मरने का
अगर मैं गई पहले टेंशन यह भारी
देखभाल फिर कौन करेगा तुम्हारी
तुम जो पहले गए टेंशन यह होगा
मैं पड़ जाऊं अकेली मेरा क्या होगा
जो भी होनी है तो होगी निश्चय है
तो फिर व्यर्थ तुम्हारे मन में क्यों भय है
चार दिनों का पाया हमने यह जीवन
उसमें भी यदि रहे पालते हम टेंशन
नहीं काटना यह जीवन है रो रो कर
इसीलिए बस हंसो जियो तुम खुश होकर
अगर नहीं जो सर पर पालोगे टेंशन
नहीं मिलेगा तुम्हें उम्र का एक्सटेंशन
मानो मेरी बात, नजरिया तुम बदलो
जीना है जो लंबा ,तो टेंशन मत लो
मदन मोहन बाहेती घोटू
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025
शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025
रावण की पीड़ा
कल रावण मेरे सपने में आया
परेशान था और झल्लाया
बोले में रावण हूं
दुनिया में नंबर वन हूं
मेरे पास अतुलित दौलत है
बाहुबली हूं ,मुझ में ताकत है
कोई मुझसे मेरे हथियारों के कारण डरता है
कोई मुझसे मेरे स्वर्ण भंडारों के कारण डरता है
मेरे वर्चस्व को सब मानते हैं
और जो नहीं मानते मेरी, वे बैर ठानते हैं मैं उन्हें तरह-तरह से करता हूं प्रताड़ित
अपनी पूरी शक्ति से करता हूं दंडित
फिर भी कुछ राम और हनुमान
मेरी धमकियों पर नहीं देते हैं ध्यान
मेरी बातों को करते हैं अनसुना
मैं उन पर टैरिफ लगा देता हूं चौगुना लोग कहते हैं अपने अहम के बहम में पगला गया हूं
पर कुछ दोस्त मेरी बात नहीं सुनते,
मैं उनसे तंग आ गया हूं
उनके देश में गांव-गांव और शहरों में हर साल
मेरे पुतले जलाकर मनाया जाता है दशहरे का त्यौहार
देखो कैसा अमानवीय है उनका व्यवहार पिछले कई सालों से नहीं है यातना भुगतता चला आ रहा हूं
प्रतिशोध की आग में जला जा रहा हूं फिर भी मौन और शांत हूं ,
ना कोई बदला है ना प्रतिकार
अब आप ही बतलाइए ,क्या मैं नहीं हूं शांति के नोबेल प्राइज का हकदार
कई देशों के बीच हो रही थी लड़ाई
मैंने अपने रुदबे से रुकवाई
तो क्या यह नहीं है जाईज
कि मुझे दिया जाए शांति का नोबेल प्राइज
अगर लोग मेरी बात नहीं मानेंगे
मेरे वर्चस्व को नहीं जानेंगे
मैं दुनिया में उथल-पुथल मचा दूंगा
जब तक मुझे शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिल जाएगा मैं किसी को शांति से जीने नहीं दूंगा
और शांत नहीं बैठूंगा
मदन मोहन बाहेती घोटू