मैं बूढ़ा नहीं हूं
काम की हूं चीज मैं कूड़ा नहीं हूं
बूढ़ा दिखता हूं मगर बूढ़ा नहीं हूं
कोई मेरे दिल के अंदर झांक देखें
मेरे मन की भावना को आंक देखें
पाएगा वह एक कलेजा जलता जलता जवानी का जूस है जिसमें उबलता
वीक थोड़ी बैटरी पर हो गई है
चेहरे की चमक थोड़ी खो गई है परिस्थितियों हो गई प्रतिकूल सी है
मगर खुशबू अब भी कायम फूल सी है उमर बढ़ती ने मुझे ऐसा ठगा है
फूल सा ये बदन मुरझाने लगा है
मगर चेहरा मेरा अब भी मुस्कुराता
अब भी हंसता हूं खुशी के गीत गाता देख करके हुस्न मन अब भी उछलता
अभी भी कायम पहले जेसी ही चंचलता कड़कते व्यवहार में आई नमी है
बस जरा सी कहीं, कुछ आई कमी है
तन बदन पर आ गई कुछ सलवटें है
उड़ न पाते अधिक,क्योंकि पर कटे हैं जवानी का जोश थोड़ा हो गया कम
मगर जज्बा पुराना अब भी है कायम
ढोल में है पोल फिर भी बज रहा है
रंगीला मिज़ाज फिर भी सज रहा है
ठीक से नव पीढ़ी संग जुड़ा नहीं हूं
बूढ़ा दिखता हूं मगर बूढ़ा नहीं हूं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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