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शनिवार, 10 अगस्त 2024

बूढ़ों की लोरी 


बिस्तर पर लेटें हैं बूढ़ा और बुढ़िया

 इनको सुलाने को आ जा तू निंदिया 


कभी दौरा खांसी का बुढिया को आता  

तो बूढ़ा उठ कर के पानी पिलाता 

कभी दर्द बूढ़े के पैरों में आया

पेनबाम बुढिया ने झट से लगाया 

कभी याद करते पुरानी वो बातें 

लाख जतन करते, सो नहीं पाते 

कैसे भी इनको ,सुला जा तू निंदिया 

इनको सुलाने को आजा तू निंदिया 


बूढ़ा उठ के बार बार बाथरूम जाता 

तकिए को बाहों में अपनी दबाता 

करवट बदलते ही रहते हैं दोनों 

बस ऐसे जगते ही रहते हैं दोनों 

कभी  पाठ हनुमान चालीसा करते 

कभी राम का नाम रह रह के जपते 

इनको भी सपने दिखा जा तू निंदिया इनको सुलाने आ जा तू निंदिया 


मदन मोहन बाहेती घोटू

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