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रविवार, 30 जून 2024

नींव के पत्थर 


एक विशाल इमारत बनकर 

गौरव से तुम उठा रहे सर 

टिके हुए तुम जिसके ऊपर 

हम हैं उसी नींव के पत्थर 


हम घुट घुट कर सांस ले रहें 

नाम तुम्हारा दीवारॉ पर 

इतना सारा बोझ तुम्हारा 

उठा रहे अपने कंधों पर 


है इसमें ही हर्ष हमारा 

सदा रहे उत्कर्ष तुम्हारा 

फहराए तुम्हारा परचम  

आते वर्षों वर्ष तुम्हारा 


है कोशिश हमारी हरदम 

भूकंपों से बचे रहो तुम 

देखे तुमको लोग सराहें 

ऐसे सुन्दर सजे रहो तुम 


दिन-दिन करते रहो तरक्की 

हम तो यही चाहते हैं बस 

हैं इतनी सी पर आकांक्षा 

दे दो हमको भी थोड़ा यश


मदन मोहन बाहेती घोटू

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