पृष्ठ

सोमवार, 21 अगस्त 2023

जिंदगी की हकीकत

ढूंढ रहे क्यों दोष पराये , झांको अपने मन अंदर 
दुनिया भर की सारी कमियां, साफ आएंगे तुम्हें नज़र 
जिंदगी की हकीकत यही है 

देख पराई चिकनी चुपड़ी, मत मलाल मन में लाना 
तुम्हें पता है, तुमको घर की, रोटी दाल ही है खाना 
जिंदगी की हकीकत यही है 

कितनी पीड़ा सह सह तुमने, ये जो बच्चे पाले हैं 
बड़े हुए ,जब पंख लगेंगे ,सब उड़ जाने वाले हैं 
जिंदगी की हकीकत यही है 

तुमने खटकर,जोड़ तोड़कर, यह जो दौलत जोड़ी है 
साथ नहीं कुछ भी जानी है, यहीं पर जानी छोड़ी है 
जिंदगी की हकीकत यही है 

आज आज्ञाकारी बनते , काम नहीं कल आएंगे 
उंगली पकड़ सिखाया जिनको ,उंगली तुम्हें दिखाएंगे 
जिंदगी की हकीकत यही है 

जिनको तुम अपना कहते हो ,भूल जाएंगे सभी जने 
उनकी दीवारों पर कुछ दिन ,लटकोगे तस्वीर बने 
जिंदगी की हकीकत यही है 

अपने और पराये का तुम, मन में पालो नहीं भरम 
इसीलिए सत्कर्म करो तुम, साथ जाएंगे सिर्फ करम 
जिंदगी की हकीकत यही है

मदन मोहन बाहेती घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।