पृष्ठ

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

मिलनी मोहलत चाहिए

           मिलनी मोहलत  चाहिए

मन मे होना चाहिए कुछ कर गुजरने का जूनून ,
      लगा जी,जुटना पडेगा ,अगर शोहरत  चाहिए
यूं तो सब ही काटते है ,पर सफल वो जिंदगी,
     नाम थोड़ा चाहिए और थोड़ी  इज्जत  चाहिए
बूढ़े बूढ़े लोग भी चढ़ जाते है एवरेस्ट पर,
      थोड़ा जज्बा चाहिए और थोड़ी हिम्मत चाहिए
बिना माचिस  जलाये भी,लोग जलने लगेगें ,
      आप  हो  खुशहाल ,बीबी  खूबसूरत  चाहिए
हमने अपनी जिंदगी का किया सौदा आपसे,
      रुंगावन  में प्यार ,कीमत में रियायत  चाहिए
इतनी सुन्दर रची दुनिया ,जिंदगी दी चार दिन,
     ऐ खुदा!एक और दिन की ,मिलनी मोहलत चाहिए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।