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मेरा काव्य-पिटारा
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गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025
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आओ फिर लड़ लें,झगड़ लें बहुत दिन से तुम न रूठी , और ना मैंने मनाया फेर कर मुंह नहीं सोये, एक दूजे को रुलाया देर तक भूखी रही तुम, और मैं भ...
रविवार, 26 अक्टूबर 2025
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खींच सकता हूं जितना झेलता सब परेशानी, बुढ़ापे की बीमारी की, अभी तक काटा ये जीवन, हमेशा गाते ,मुस्काते जिऊंगा यूं ही हंस हंस कर जब तलक मेर...
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गुनगुनाते रहो भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो पंछियों की तरह चहचहाते रहो रोने धोने को ना,है ये जीवन मिला ना किसी से रखो कोई शिकवा गिला प्र...
3 टिप्पणियां:
मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
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श्री गणेश लक्ष्मी पूजन दीवाली पर एक साथ क्यों? अभी कुछ दिन पहले ही तो, बड़े भक्ति भाव से हमने , गणेश जी को विदा देकर किया था रवाना यह कह...
सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
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शादी जैसे ,पतझड़ के बाद हो बसंत ऋतु में फूलों का महकना जैसे ,प्रात की बेला में पक्षियों का मधुर करलव , चहकना जैसे ,सर्दी की गुनगुनी धूप ...
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