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मेरा काव्य-पिटारा
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रविवार, 23 जुलाई 2023
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मन की पीर जब नींद रात को ना आती हम सोते करवट बदल बदल बेचैन हुए लेटे रहते हैं कभी इधर तो कभी उधर इतना छाता एकाकीपन सपने भी तो आते है कम...
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जीवन व्यापन उमर हमारी ज्यों ज्यों बढ़ती वैसे जीवन अवधि घटती यह अटल नियम है प्रकृति का, पकती है फसल, तभी कटती बचपन , यौवन,वृद्धावस्था ये ...
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बदनसीबी जिससे करी थी हमने मोहब्बत थी बेपनाह उस बेमुरव्वत में हमें लेकिन किया तबाह हमराह मिली ऐसी की गुमराह कर दिया , कर नहीं पाई संग हमा...
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पति की फरमाइश खातिर में साले साहब की जुटती हो जिस तरह, हम पर भी मेहरबानी कुछ दिखला दिया करो करती हो तुम दामाद की जितनी आवाभगत पकवान थोड़े ह...
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पसंद अपनी अपनी ,ख्याल अपना-अपना मैं पत्नी से बोला तुम लगती अच्छी हो भोली भाली सीधी और मन की सच्ची हो तुम्हारा चेहरा खिलता हुआ गुलाब है ...
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