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मेरा काव्य-पिटारा
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गुरुवार, 29 जून 2023
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बूढ़ा बंदर वह छड़ी सहारे चलती है, मैं भी डगमग डगमग चलता फिर भी करते छेड़ाखानी, हमसे न गई उच्छृंखलता याद आती जब बीती बातें, हंसते हैं क...
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ग़ज़ल मेरा स्वप्न पूरा हुआ चाहिए बस मुझे दोस्तों की दुआ चाहिए बस मेरी जिंदगी में जो ला दे बहारें, हसीं ऐसी एक दिलरुबा चाहिए बस उसकी मुला...
रविवार, 25 जून 2023
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नए-नए चलन आजकल बड़े अजीब अजीब चलन चल गए हैं रोज नए नए फैशन बदल रहे हैं लोग परिवार के साथ समय में मजा नहीं पाते हैं कहीं किसी के साथ जाकर ...
1 टिप्पणी:
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फेरे में मैं होशियार हूं पढ़ी लिखी, सब काम काज कर सकती हूं , तुम करके काम कमा लाना , मैं भी कुछ कमा कर लाऊंगी हम घर चलाएंगे मिलजुल कर...
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दृष्ट सहस्त्र चंद्रो मैंने इतने पापड़ बेले, तब आई समझदारी मुझ में दुनियादारी की परिभाषा, अब समझ सका हूं कुछ-कुछ में जब साठ बरस की उम्र हु...
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