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मेरा काव्य-पिटारा
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गुरुवार, 29 सितंबर 2022
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रावण दहन हे प्रभु तू अंतर्यामी है बदला मुझ में क्या खामी है ताकि समय रहते सुधार दूं, जितनी अधिक सुधर पानी है मानव माटी का पुतला है अंतर...
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तब और अब पहले जब कविता लिखता था रूप बखान सदा दिखता था रूप मनोहर ,गौरी तन का चंदा से सुंदर आनन का मदमाते उसके यौवन का बल खाते कमनीय बदन...
सोमवार, 26 सितंबर 2022
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देवी वंदना 1 नवरात्रि में पूज लो, माता के नव रूप सुंदर प्यारे मनोहर, सब की छवि अनूप सब की छवि अनूप, देख कर श्रद्धा जागे मनोकामना पूर्ण कर...
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मातृ वंदना 1 हे माता यह वंदना , है अब की नवरात्र अपने आशीर्वाद का, मुझे बना ले पात्र मुझे बना ले पात्र ,देवी ममता की मूर्ती मुझे स्वस...
गुरुवार, 22 सितंबर 2022
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प्रकृति प्रेम वैसे तो मैं अब युवा नहीं, लेकिन इतना भी वृद्ध नहीं ईश्वर की कोई सुंदर कृति, देखूं,और प्रेम नहीं जागे उस परमपिता पर...
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