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मेरा काव्य-पिटारा
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शनिवार, 30 अक्टूबर 2021
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नटखट सब कहते जब मैं बच्चा था ,मैं शैतान बड़ा नटखट था कभी चैन से नहीं बैठता, करता रहता उलट पलट था सभी चीज कर जाता था चट मैं था नटखट, नटखट नटख...
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आलू आलू आलू आलू मसाले वाले आलू आलू बिन ना भावे, मैं कैसे खाना खा लूं आलू है बेटे धरती के आलू शालिग्राम सरीखे गोलमोल है प्यारे प्यारे ...
गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021
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मेरी बुजुर्गियत मेरी बुजुर्गियत बन गई है मेरी खसूसियत और परवान चढ़ने लगी है , मेरी शख्सियत हिमाच्छादित शिखरों की तरह मेरे सफेद बाल उम्र के...
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बुधवार, 20 अक्टूबर 2021
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नया दौर उम्र का कैसा गणित है भावनाएं भ्रमित हैं शांत रहता था कभी जो, बड़ा विचलित हुआ चित है पुष्प विकसित था कभी, मुरझा रहा है जिंदगी ...
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मुझे डायबिटीज है मैं ,जलेबी सा टेढ़ा मेढ़ा, गुलाब जामुन सा रंगीला गजक की तरह खस्ता, चिक्की की तरह चटकीला बर्फी की तरह सादा , ...
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