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मेरा काव्य-पिटारा
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शुक्रवार, 5 जुलाई 2019
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मन की बात साफ़ मैं कहता हूँ वो बात जो हक़ीक़त है , जो सही लगती वही मन की बात करता हूँ जेठ की चिलचिलाती धूप में और गरमी में , कभी भी मैं नहीं ...
गुरुवार, 4 जुलाई 2019
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ये भूलने की बिमारी कल पत्नीजी ने फ़रमाया कि बढ़ती हुई उमर के साथ कमजोर होती जारही है उनकी याददाश्त आजकल वो कई बार , कई लोगों के नाम भूल जाती ...
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तुम पहले जैसे नहीं रहे तुम पहले जैसे रहे पहले मेरे हर नहले पर ,तुम दहला मारा करते थे , अब बस चौकी,पंजी,छक्की ,तुम दहले जैसे नहीं रहे तुम प...
रविवार, 30 जून 2019
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जीना मरना कोई कहता रूप तुम्हारा है कातिल तुम जालिम हो ,तुमने लूट लिया है दिल कोई कहता अदा तेरी मतवाली है चुरा लिया दिल,तूने नींद चुराली है...
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इच्छाओं का अंत नहीं है महत्वकांक्षाये मत पालो ,हर दिन बढ़ती ही जाती है बहुत हृदय को दुःख देती है ,पूर्ण नहीं जब हो पाती है सुख दुःख आते ऋतुओं...
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