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मेरा काव्य-पिटारा
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रविवार, 6 जनवरी 2019
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धूप कुछ गरम गरम सी धूप कुछ नरम नरम सी धूप कुछ बिखरी बिखरी धूप कुछ निखरी निखरी धूप कुछ तन सहलाती धूप कुछ मन बहलाती धूप कुछ छत पर छाती ...
शनिवार, 5 जनवरी 2019
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फोकटिये हम तो फोकटिये है यार,हमको माल मुफ्त का भाता धूप सूर्य की ,मुफ्त कुनकुनी ,खाते है सर्दी में और बरगद की शीतल छैयां ,पाते है गर्मी म...
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धूप कुछ गरम गरम सी धूप कुछ नरम नरम सी धूप कुछ बिखरी बिखरी धूप कुछ निखरी निखरी धूप कुछ तन सहलाती धूप कुछ मन बहलाती धूप कुछ छत पर छाती ...
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मंगलवार, 1 जनवरी 2019
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बालिग़ उमर -प्यार रस डूबो बालिग़ हो गयी सदी बीसवीं ,लगा उसे उन्नीस बरस है निखरा रूप,जवानी छायी, हुई अदा ज्यादा दिलकश है बात बात पर किन्तु ...
रविवार, 30 दिसंबर 2018
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नया बरस -पुरानी बातें इस नए बरस की बस ,इतनी सी कहानी है कैलेंडर नया लटका ,पर कील पुरानी है महीने है वो ही बारह,हफ्ते के कुछ वारों ने , ...
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