पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
काव्य संसार (फेसबुक समूह)
काव्य संसार (फेसबुक पृष्ठ)
हिंदी
मेरा फेसबुक पृष्ठ
ब्लॉग"दीप"
चर्चा मंच
नयी पुरानी हलचल
मेरा काव्य-पिटारा
▼
मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018
›
निर्मल आनंद मेरे मन में जो उलझे थे , छंद सभी स्वछन्द होगये दुःख पीड़ा से मुक्त हो गए , एक निर्मल आनंद हो गए कवितायेँ सब ,सरिताएं बन , बही ...
›
भटकाव जिधर ले गयी हवा बस उसी तरफ बहा मैं तो बस बादल बन , यूं ही भटकता रहा न तो अंबर में ही रहा न ही धरती पर बहा मैं तो बस बीच में ही...
›
सुंदरता सुंदरता , न तन के रंग में होती है न किसी अंग में होती है वो तो बस ,आपके , मन की तरंग में होती है विचारों की सादगी और जीने के ...
सोमवार, 8 अक्टूबर 2018
›
कैसे कैसे लोग ------------------ यह ऐसा है ,वह वैसा है उसके बारे में मत पूछो,वह कैसा है सदा चार की बातें करनेवाले, जब सदाचार की बातें...
›
मकई का भुट्टा और कॉर्न जबसे मकई का भुट्टा , अमेरिकन कॉर्न बन गया है गर्व से तन गया है देसी मकई की धानी , अब 'पॉपकॉर्न 'बन कर इतर...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें