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मेरा काव्य-पिटारा
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बुधवार, 15 फ़रवरी 2017
हमारे बुजुर्ग....
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पुरानी वेलेंटाइन से प्रणय निवेदन जमाना वो भी था तुम हूर लगा करती थी जवानी,हुस्न पे मगरूर लगा करती थी कितने ही लोग तुमपे लाइन मारा करते ...
शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017
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माँ तुझे प्रणाम तूने मुझको पाला पोसा ,तू मेरी जननी है माता जब भी मुझे वेदना होती,नाम तेरा ही मुंह पर आता कैसे तुझे पता चल जाता,जब भी मुझक...
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जिंदगी तमन्ना थी जिंदगी में ,फतह कर लूं हर किला मगर जो था मुकद्दर में, मुझे बस वो ही मिला हार जो झेली कभी तो,कामयाबी भी मिल...
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सपने देखो दिन में देखो,चाहे देखो रात में मिलते है सपने यहाँ खैरात में जी में आये ,उतने सपने देखिये , सपनो पर अब तक लगा ना टेक्स है कभी ...
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