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मेरा काव्य-पिटारा
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सोमवार, 30 जनवरी 2017
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आदमी की बेबसी इस तरह की बेबसी में ,रहा जीता आदमी खून कम था,गम के आंसू ,रहा पीता आदमी पैसे की परवाह में ,परवाह खुद की, की नहीं ऐस...
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बुढापा एन्जॉय करिये मन मचलता ,सदा रहता ,कामना होती कई है कुछ न कुछ मजबूरियों बस ,पूर्ण हो पाती नहीं है आपका चलता नहीं बस ,व्यस्तता के कभी ...
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घोटूजी का टेक्स प्रपोजल घोटूजी के टेक्स के ये कुछ प्रपोजल है किये टेक्स फ्री हो सपने सारे ,जितने चाहे,देखिये टेक्स फ्री हो दोस्ती पर दुश्मन...
शनिवार, 28 जनवरी 2017
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ऑन लाइन आजकल तो ऑनलाइन सभी चीजें मिल रही है लाइनों में खड़े होने का चलन फिर भी वही है बैंक,एटीएम में और सिनेमा में है कतारें टिकिट तो है...
1 टिप्पणी:
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जिंदगी का चलन आदमी कमजोरियों का दास है जब तलक है सांस ,तब तक आस है ये तो तुम पर है की काटो किस तरह, जिदगी के चारों दिन ही ख़ास है ह...
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