पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
काव्य संसार (फेसबुक समूह)
काव्य संसार (फेसबुक पृष्ठ)
हिंदी
मेरा फेसबुक पृष्ठ
ब्लॉग"दीप"
चर्चा मंच
नयी पुरानी हलचल
मेरा काव्य-पिटारा
▼
सोमवार, 31 अक्टूबर 2016
प्रदूषण-बद से बदतर
›
प्रदूषण-बद से बदतर कुछ खेत जले ,फैला धुंवा ,बढ़ गया प्रदूषण का स्तर दिवाली की आतिशबाजी ,और वाहन का धुवा दिनभर उस पर डकार खाये तुमने ,है चार प...
धुवाँ धुंवा आकाश हो गया
›
धुंवा धुंवा आकाश हो गया कहीं किसी ने फसल काट कर,अपना सूखा खेत जलाया आतिशबाजी जला किसी ने ,दिवाली त्योंहार मनाया हवा हताहत हुई इस तरह ,म...
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016
जादूगर सैंया
›
पहले कहते चख लेने दो , फिर कहते हो छक लेने दो, ऊँगली पकड़,पकड़ना पोंची , कला कोई ये तुमसे सीखे कभी मुझे ला देते जेवर , कभी कलाक...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016
दो पन्नो से ज्यादा ...
›
अक्सर इन्सान कहता है, मेरी हयात(जिंदगी) .... "एक खुली किताब की तरह है " क्या कभी किसी ने , खुली किताब को, दो पन्नो से ज्य...
1 टिप्पणी:
दो बहने
›
एक हरी नाजुक पत्ती थी , खुली हवा में इठलाती थी नीलगिरी के पर्वत पर वह , मुस्काती थी,इतराती थी हराभरा सुन्दर प्यारा था , उसका रूप बड़ा मतवाल...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें