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मेरा काव्य-पिटारा
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गुरुवार, 30 जून 2016
बेवफा बाल
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ये बाल बेवफा होते है कितना ही इनका ख्याल रखो कितनी ही साजसम्भाल रखो कितनी ही करो कदर इनकी सेवा सुश्रमा , जी भर इनकी हम सर पर ...
सच्ची कमाई
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तू इतनी मै मै करता था और डींगें मारा करता था निज वर्चस्व दिखाने खातिर ,ये नाटक सारे करता था महल दुमहले बना रखे थे ,सुख के...
सोमवार, 27 जून 2016
पत्नीजी के जन्मदिवस पर
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अगर आज का दिन ना होता और नहीं तुम जन्मी होती तो फिर कोई नार दूसरी , शायद मेरी पत्नी होती हो सकता है वो तुम जैसी , सुंदर और सुगढ़ ना ...
बोलो अब खुश हो ना
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हम मनमानी नहीं करेंगे ,बोलो अब खुश हो ना कुछ शैतानी ,नहीं करेंगे ,बोलो अब खुश हो ना तुम्हारा हर कहा,हमेशा ,सर ,आँखों पर लेंगे , आनाकानी...
विदेश प्रवास
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हम तो है ऐसे दीवाने जाते तो है होटल, खाने, पर खाना है घर का खाते , निज टिफिन साथ में ले जाते छुट्टी में जाते है विदेश ये सोच कर...
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