पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
काव्य संसार (फेसबुक समूह)
काव्य संसार (फेसबुक पृष्ठ)
हिंदी
मेरा फेसबुक पृष्ठ
ब्लॉग"दीप"
चर्चा मंच
नयी पुरानी हलचल
मेरा काव्य-पिटारा
▼
शनिवार, 28 मई 2016
क्या सोचेंगे लोग
›
क्या सोचेंगे लोग सोच कभी मत मन में लाना,क्या सोचेंगे लोग नहीं सोच कर ,ये घबराना ,क्या सोचेंगे लोग लोगों की तो आदत ही है, टोका ...
मन को खलता है
›
मन को खलता है पास पास बैठें ,पर चुपचुप ,मन को खलता है हाथ न जिसके कुछ आता ,हाथों को मलता है यूं तो तन के ,एक कोने में ,धक धक करता है...
शुक्रवार, 27 मई 2016
आदत बिगाड़ दी हमने
›
आदत बिगाड़ दी हमने उनके चेहरे पे निगाह ,अपनी गाढ दी हमने हुस्न के उनकी और ,रंगत निखार दी हमने उनके गालों के गुलाबों को थोड़ा सहलाया ,...
अच्छा लगता है
›
अच्छा लगता है कभी किसी पर,दिल आना भी ,अच्छा लगता है सपनो से ,मन बहलाना भी ,अच्छा लगता है वो जब गिरते हुए थामते ,अपनी बाहों मे...
बुधवार, 25 मई 2016
मज़ा
›
मज़ा लिया ना लुत्फ़ सर्दी का ,धूप में बैठ फुरसत में, न खाई मूंगफलियां ही ,गज़क ना रेवड़ी खाई मज़ा क्या वर्षा का ,रि...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें