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मेरा काव्य-पिटारा
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गुरुवार, 11 जुलाई 2019
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दो सौ दिन और दो सौ रातें मुझको छोड़ अकेला घर में गयी परीक्षा के चक्कर में बीबीजी ने बी ए कर लिया ,पर आने का नाम नहीं था इम्तहान मेरे धीरज का ...
बुधवार, 10 जुलाई 2019
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रिश्ते न तेरे हुस्न में बाकी वो करारापन है न मुझमे बेकरारी और वो बावलापन है होगये इतने बरस ,हमने निभाये रिश्ते , आज भी संग है,खुश है,भला ये ...
शुक्रवार, 5 जुलाई 2019
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मन की बात साफ़ मैं कहता हूँ वो बात जो हक़ीक़त है , जो सही लगती वही मन की बात करता हूँ जेठ की चिलचिलाती धूप में और गरमी में , कभी भी मैं नहीं ...
गुरुवार, 4 जुलाई 2019
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ये भूलने की बिमारी कल पत्नीजी ने फ़रमाया कि बढ़ती हुई उमर के साथ कमजोर होती जारही है उनकी याददाश्त आजकल वो कई बार , कई लोगों के नाम भूल जाती ...
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तुम पहले जैसे नहीं रहे तुम पहले जैसे रहे पहले मेरे हर नहले पर ,तुम दहला मारा करते थे , अब बस चौकी,पंजी,छक्की ,तुम दहले जैसे नहीं रहे तुम प...
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