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बुधवार, 8 जुलाई 2015
जमे हुए रिश्ते
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जमे हुए रिश्ते आजकल हालत हमारी ,इस तरह की हो रही है रिश्ते ऐसे जम गए है ,जैसे जम जाता दही है नींद हमको नहीं आती ,उनको भी आती नही...
जीत का अंदाज
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जीत का अंदाज हरेक चूहे में इतनी काबलियत कहाँ होती है , मिले एक कपडे की चिंदी ,और बजाज बन जाए कभी...
यादें -बरसात की
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यादें -बरसात की हमको तो बारिश में भीगे ,एक अरसा हो गया , मगर वो रिमझिम बरसता प्यारा सावन याद है याद है वो नन्ही...
सोमवार, 6 जुलाई 2015
शिकायत -प्रियतमा से
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शिकायत -प्रियतमा से मैं करता थोड़ी छेड़छाड़ ,तुम देती हो फटकार प्रिये क्या है ये अदा सताने की , या फिर तुम्हारा प्यार प्रिये तुम नह...
रूढ़ियाँ
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रूढ़ियाँ प्रगति हमने बहुत कर ली ,हो रहे है आधुनिक, चन्द्रमा ,मंगल ग्रहों पर रखा हमने हाथ है रूढ़िवादी सो...
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