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गुरुवार, 4 मार्च 2021

पक ही जाती है इश्किया खिचड़ी...


चूल्हा यहाँ पर
पतीला वहाँ पर,
फिर भी पक ही
जाती है
'इश्किया खिचड़ी',
जिससे आ जाता है
जायका ज़िन्दगी में,
और लगती है चलने
जैसे कि फिसली...

एक का चावल
दूसरे की दाल,
मुलाक़ात हो तो
तड़का कमाल...

कभी आ ही जाती है
बातों में मिर्ची,
कभी हो ही जाती हैं
नज़रें भी तिरछी...

कुछ खोजते हैं तब
तोहफ़े की लस्सी,
तो कुछ ढूंढते
आत्महत्या की रस्सी...

- विशाल चर्चित

बुधवार, 3 मार्च 2021

Were you still importing the bags from CHINA ?

Dear Manager:

   Good afternoon,how are you doing?

   We have finished our holiday, and back to working , were you still deal with the bags importing from CHINA?

   If you have any demands on the bags(backpack/travel bag/cooler bag/shopping bag/tote bag/canvas bag/handbag etc), welcome to contact us any time,and hope that we can be one of your trusted suppliers in CHINA. (For the catalouge of bags in various styles, welcome to download them from our site at: https://www.zj-bags.net/en/download.html , any interested items,welcome to send their item number along with the quantity to us by return.we will send our competitive price to you for the first cooperation )
   


Sincerely yours.




Bruce
Director
Expt Dept
YIWU ZHIJIAN BAGS CO.,LTD
p: 0086-579-86680309  m: 0086-18057970309
f: 0086-579-85135034  skype: bruceliuqing
w: www.zj-bags.net  e: zjbags1@zj-bags.net
  

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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

बचना ऐ हसीनो -इन बूढ़ों से

साठ के पार होते है ,मगर स्मार्ट होते है
पेंशन इनको मिलती है ,बड़े ही ठाठ होते है
तुम इनकी सादगी और मीठी बातों में न आना
 संभल के रहना ये बुड्ढे ,बड़े खुर्राट होते है

बड़ी मासूमियत से आपके ये दिल को हर लेंगे
अगर देखोगी मुस्काकर,मोहब्बत तुमसे कर लेंगे
पकड़ ऊँगली पहुंची तक ,पहुंचने में ये माहिर है ,
जरा सी घास डालोगी ,ये पूरा खेत चर  लेंगे

बड़ी मंहंगी पुरानी चीज है 'एंटीक 'कहलाती
पुराने चावलों से खुशबुएँ आती है मनभाती
भले ही कितना भी बूढा अगर हो जाए बंदर पर,
गुलाटी मारने की आदतें उसकी नहीं जाती

नज़र कमजोर ,आदत छूटती ना ताका झांकी की
न हिम्मत जाम पीने की ,मगर तलाश साकी की
राम का नाम लेने की ,उमर में रासलीला का ,
मज़ा मिल जाय कैसे भी ,है हसरत उम्र बाकी की

न फल है ना ही पत्ते है ,ये लगते पेड़ सूखे है
बहुत खेले खिलाये है ,मगर ये अब भी भूखे है
कभी भी भूल कर इनसे ,दया से प्यार मत करना
मिला जब भी इन्हे मौका ,कभी भी ये न चूके है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
ऐसा क्यों ?

लड़की अगर हो सीधी ,तो गाय कहाती है ,
लड़का अगर हो सीधा ,तो गधा क्यों कहाता
पत्नी की बात माने ,तो इसमें हर्ज क्या है ,
गुलाम जोरू का पर क्यों पति कहा जाता
विज्ञापनों में देखा ,औरत के वास्ते तो ,
होते है क्रीम,लोशन और लिपस्टिक के सारे ,
मर्दों के लिए खुजली और दाद की दवा का
या बवासीर ,कब्जी का विज्ञापन क्यों आता

घोटू  

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