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बुधवार, 18 मार्च 2020

बूढा बुढ़िया और तन्हाई


एक बूढा और उसकी बुढ़िया ,दोनों हाथों में हाथ धरे
बस बैठ यूं ही तन्हाई में ,बीती बातों को याद करे

क्या दीप्त चमकता यौवन था ,फुर्ती से भरा हुआ तन था
थी भरी भरी सी कसी देह,और चंदा जैसा आनन था  
हम दोनों पागल  प्रेमी इक ,दूजे को निहारा करते थे
बंध कर बाहों के बंधन में ,हम वक़्त गुजारा करते थे
पर समय संग वो रंगरलियां और गया जमाना मस्ती का
जब जिम्मेदारी सर आई और लादा बोझ गृहस्थी का  
हो गयी गुटर गू  बंद और हम लुल्लु चप्पू सब बिसरे
बस बैठ यूं ही तन्हाई में ,बीती बातों को याद करे

याद आते है वो प्रेमपत्र ,जो मुझको बहुत सुहाते थे
पढता था इतनी बार उन्हें कि मन को रट रट जाते थे
अपने मन का सब प्रेमभाव ,तुम प्रकट किया करती लिखके
मोती से अक्षर बीच बीच ,वो चुंबन चिन्ह लिपस्टिक के
वो पोस्टमेन का इन्तजार ,आता है अब भी याद हमें
जिस दिन तेरी चिट्ठी मिलती ,छा जाता था उन्माद हमें
अब प्रेमपत्र का थ्रिल न बचा ,सब मोबाइल पर बात करे
बस बैठ यूं ही तन्हाई में  ,बीती बातों को याद करे

फिर एक दिवस वो भी आया जब मैं दूल्हा तुम दुल्हन बन
अग्नि के फेरे सात लिए ,बंध गया जनम भर का बंधन
है प्रथम मिलन की याद तुम्हे ,तुम बैठी थी सकुचाई सी
मैंने जब घूंघट पट खोले ,तुम लिपट गयी शरमाई सी
मैं मधुर प्रेम रस में डूबा ,बाँहों में तुझको घेरा था
कोरे कागज पर प्रथम प्रेम का पहला शब्द उकेरा था
संग जीने मरने की कसमें ,खाई थी मन विश्वास भरे
बस बैठ यूं ही तन्हाई में ,बीती बातों को याद करे
 
कुछ दिन फिर ऊंचे गगन उड़े ,थोड़े चहके ,महके बहके
वो मस्ती करना ,वो उड़ान ,याद आते वो दिन रह रह के
फिर फंसे गृहस्थी चक्कर में ,बच्चे आये ,पाले पोसे
उड़ना सीखा,सब छोड़ गये ,निज नीड बसा ,किसको कोसे
अब तो बस मैं हूँ  और तुम हो ,आपस में हम ही सहारा है
ना चिंता ना  जिम्मेदारी  ,ये वक़्त बड़ा ही प्यारा है
लेना न किसी से ना देना ,कोई से हम क्यों भला डरें
बस बैठ यूं ही तन्हाई में ,बीती बातों को याद करे

ना रही बसंती ऋतू है अब ,ना है उमंग ना है तरंग
तन क्षीण ,बिमारी ने घेरा ,अब रूठ गया हमसे अनंग
फिर भी हम तुम दोनों संग है ,ये साथ हमारा क्या कम है
है अक्षुण ,अमर प्यार अपना ,जीवित जब तक दम में दम है
मैं ख्याल तुम्हारा रखता हूँ ,तुम रखती मेरा ख्याल सदा
कल भी था आज और कल भी ,जिन्दा है अपना प्यार सदा
बस वक़्त गुजारा करते है ,सह एक दूसरे के नखरे
बस बैठ यूं ही तन्हाई में ,बीती बातों को याद करे


मदन मोहन बाहेती 'घोटू '



 
करोना का शुक्रिया

ऐ करोना,शुक्रिया ,तूने भला ऐसा किया ,
उनकी बक बक बंद ,मुंह पर ,उनने पट्टी बांधली
मास्क ने बंध टास्क  पूरा किया ,बिमारी बची ,
हो गयी है बंद नित फरमाइशों की धांधली
रेस्ट थोड़ा मिल गया उनकी चटोरी जीभ को ,
चटकारे भी लेती है कम,कुलबुलाना कम हुआ
बंद होटल ,रेस्टरां सब और ठेले चाट के ,
सन्नाटे बाज़ार में ,दहशत भरा मौसम हुआ

घोटू  
  

मंगलवार, 17 मार्च 2020

Re: New Soft cork bags in various style and the Catalouge of available items for next cooperation !

Dear bahetimmtara1:


   Good Days ! how are you doing?

   We are pleased to inform you that we have made our new bags from the Eco soft crok materials on the market.as we guess you might be interested, here we attach thier details to you as reference as following, and can be customized LOGO in specially.

    More other production we produced, welcome to visit our site at www.zj-bags.net . and attached link was the lastest catalouge of availabel bag at :  https://we.tl/t-1hXFAaoWV8  .we hope you will take this opportonity to enalrge your business scope.

 

Sincerely yours.
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​​​​​​​
Bruce
Director
Expt Dept
YIWU ZHIJIAN BAGS CO.,LTD
(ZHEJIANG FAITHFUL INDUSTRIAL CO.,LTD )
p: 0086-579-86680309  m: 0086-18057970309
f: 0086-579-85135034
w: www.zj-bags.net  e: zjbags1@zj-bags.net
  

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है रंग भरा पूरा जीवन

होली के त्योंहार पर ,रंगों की बहार होती है
पर अगर गौर से देखा जाए तो,
हमारी सारी जिंदगी ही रंगों से गुलजार होती है
बचपन में करते हुये पीले पोतड़े
जब हम होते है बड़े
तो माँ हमें लगा दिया करती है काला टीका ,
जिससे हम पर किसी की बुरी नज़र न पड़े
फिर स्कूल में पढ़ने के दरमियाँ
करते है पेन और पेन्सिल से ,काली नीली कापियां
और फिर जब कॉलेज जाते है
तो वहां का वातवरण  काफी रंगीन पाते है
साथ पढ़नेवाली हर लड़की लगती है परी
देख कर तबियत हो जाती है हरी
काली काली लहराती जुल्फें और गुलाबी गाल
और उस पर आग बरसाते होठ लाल लाल
देखने में हर लड़की रंगीली होती है
और ज़रा सा छेड़ दो तो लाल पीली होती है
उनके हुस्न का रंग कुछ ऐसा चढ़ता है
कि उनके संग रंगरलिया मनाने को दिल करता है
और एक दिन ऐसी हुस्नपरी भी मिल जाती है
जो हमारे नाम की मेंहदी लगाती है
उसके हल्दी चढ़े पीले हाथ हमारे हाथ में आते है
हम उसकी मांग को सिन्दूरी रंग से सजाते है
कुछ दिनों तक तो हमारी तबियत रहती है हरी
पर जब पत्नी जी की गोद हो जाती है हरी
छूट जाती है सब मौज
जब पड़ता है गृहस्थी का बोझ
समय के संग ,अनंग के सब रंग उड़ जाते है
लाल पीले खुशबू वाले फूलों के रंग ,
रसोई की लालमिर्च ,पीली हल्दी,
 और हरे धनिये में बदल जाते है
और हम माया के चक्कर में उलझ जाते है
कभी कभी कालाबाज़ारी कर,
 काली कमाई भी करनी पड़ती है  
और जैसे जैसे उमर बढ़ती है
प्यार का रंग पीला पड़ने लगता है ,
जवानी हरी झंडी दिखने लगती है
काले काले घनेरे केश
होने लगते है सफ़ेद
अंग अंग सूखे हुए गुलाब की,
 पंखड़ियों की तरह झुर्राने लगता है
काली मतवाली आँखों में धुंधलका छाने लगता है
और तेज चमकता सूर्य ,
सुनहरी होता हुआ अस्ताचल गामी हो जाता है
देखा आपने ,रंगों से हमारे जीवन का कैसा नाता है

मदन  मोहन  बाहेती 'घोटू '
बढ़ रही उमर के लक्षण  


बढ़ रही उमर के ये लक्षण
झुर्राया  तन ,झल्लाया  मन
अस्ताचल गामी ,प्रखर सूर्य ,
ढल रहा इस तरह है यौवन

थे कृष्ण कभी,अब श्वेत केश
कुछ हुए बिदा ,कुछ बचे शेष
था जीवन जो चटपटा कभी ,
अटपटा हुआ जाता हर क्षण
बढ़ रही उमर के ये लक्षण

विचरण करते स्वच्छंद कभी
अब हम पर है प्रतिबंध सभी
हो गयी देह है मधुमेही ,
और क्षीण दृष्टी हो गए नयन
बढ़ रही उमर के ये लक्षण

जिनने घर भर रख्खा संभाल
खुद को भी ना सकते संभाल
अब संभल संभल कर चलता है ,
तन कर के चलता था जो तन
बढ़ रही उमर के ये लक्षण

बच्चे खुश है निज नीड बसा
हम तड़फ रहे ,मन पीड़ बसा
हमने घिस घिस ,खुशबू बांटी ,
खुद  रहे काष्ठ ,कोरे  चन्दन
बढ़ रही उमर के ये लक्षण

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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