एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

सरस्वती वंदना

          सरस्वती वंदना

भावना के प्रसूनों से ,गुंथी उज्जवल,श्वेत माला 
अलंकारों से हुआ है   रूप आभूषित निराला
श्वेत वाहन,हंस सुन्दर ,श्वेत पद्मासन तुम्हारा
श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित ,दिव्य सुन्दर रूप प्यारा
हाथ में वीणा लिए माँ,तुम स्वरों की सुरसरी हो
बुद्धि का भण्डार हो तुम,भावनाओं से भरी  हो
भक्त,सेवक मैं तुम्हारा ,मुझे ,आशीर्वाद दो माँ
प्रीत दो,संगीत दो और ज्ञान का परशाद  दो माँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

         एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

यूं ही गुमनाम से आये हो,चले जाओगे ,
                        करो कुछ ऐसा कि कुछ नाम कमा लो यारों
कौन कहता है कि टी वी पे नहीं छा सकते ,
                        एक  जूता तो  किसी नेता  पे उछालो    यारों 
बड़ी मुश्किल से ये मानव शरीर पाया है,
                         हसरतें मन की अपनी ,सारी निकालों यारों
वैसे लड़ना तो बुरी बात है सब कहते है ,
                          नाम करना है तो चुनाव लड़  डालो यारों      
करो अफ़सोस नहीं,हार जीत चलती है,
                            भड़ास मन की तुम बीबी पे निकालों यारों
लोग ठगते है सब ,औरों को टोपी पहना कर ,
                              बदल के टोपी खुद ही पैसा कमालो यारों
एक के साथ ही निष्ठां की नहीं जरुरत है,
                              माल जो दल दे उसे ,अपना बना लो यारों
जिंदगी सुख से जो जीना है,जुगाड़ी बन कर,
                               निकालो काम ,अपनी गाडी धका लो यारों  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

जीवन के रंग

              जीवन के रंग

घट घट वासी ने लिखी,कुछ ऐसी तक़दीर
घूँट घूँट घोटू पिये ,घाट घाट  का   नीर
घाट घाट का नीर ,घोटते ऐसी    वाणी
भरे ज्ञान घट ,तृप्त सभी हो जाते  प्राणी
कह 'घोटू 'कवि फिर भी जल बिच मीन पियासी
बहुत  दिखाए  रंग जीवन के ,घट घट वासी

'घोटू '

शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

नेताजी का मोटापा

      नेताजी का मोटापा

एक नेताजी ,नामी गिरामी थे
विपुल सम्पदा के स्वामी थे
खाने पीने के शौक़ीन थे
तबियत के रंगीन थे
उन्हें एक चिंता सता रही थी
उनकी तोंद बड़ती  जा रही थी
उन्होंने अपने डाक्टर को दिखलाया
डाक्टर ने जाँच करके बतलाया
आप खूब खाते है ,तले हुए पकवान ,
मिठाइया और घी
इसलिए बढ़ रही है आपकी चर्बी
ये सारा 'फेट 'आपके शरीर में,
 जमा होता जा रहा है
और आपका मोटापा बढ़ा रहा है
नेताजी बोले'हम भी समझते है ई बात
तबही तो आपसे कर रहे है मुलाकात
आप तो जानते ही है कि हम ,
और भी बहुत कुछ खाते है
पर वो सब  घर में थोड़े ही जाता है,
उसके सारे 'फेट'को जमा कराने के लिए,
विदेशी बेंकों में हमारे खाते है
अब ई खाना पीना तो हमसे छूटने से रहा,
क्या आपकी डाक्टरी में नहीं है ऐसा कोई उपाय
कि हम यहाँ खाएं ,और चर्बी ,
 कहीं और जगह जमा हो जाय
हमारे शरीर पर नज़र ना आय
ई टेक्निक ,यहाँ नहीं हो ,
तो विदेश से इम्पोर्ट करवा लीजिये
पर हमारे लिए कुछ कीजिये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-