चिर यौवन
बचपन ,यौवन,वृद्धावस्था ,
ये जीवन का क्रम सदा रहे
पर हर कोई करता प्रयास,
वह जब तक जिये ,जवां रहे
खा लेने भर से च्यवनप्राश
हर दम ना टिकता है यौवन
या शिलाजीत का सेवन कर
होता मजबूत शिला सा तन
क्षरण नियम है प्रकृति का ,
होती है उम्र जब साठ पार
आता है बुढ़ापा हर तन पर ,
दस्तक देता है बार-बार
पर वृद्धावस्था से तुमको
जो टक्कर लेकर जीना है
हंसते-हंसते मरते दम तक
यौवन का अमृत पीना है
तो अपना हृदय जवान रखो
तुम अपनी सोच जवान रखो
मत देखो श्वेत केश ,मन में,
तुम यौवन का तूफान रखो
मन में फुर्तीले होने से ,
फुर्तीला हो जाता तन है
डर दूर बुढ़ापा भग जाता,
कायम रहता चिर यौवन है
रहते उमंग और जोश भरे ,
जो खुश रहते हंसते गाते
मन से जवान वो रहते हैं
चिर युवा वही है कहलाते
मदन मोहन बाहेती घोटू