बोलो श्याम श्याम श्याम
मेरे मन के अंदर श्याम
मेरे तन के अन्दर श्याम
मेरे रोम रोम में श्याम
जपता हूं मैं सुबह शाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
बाबा नंद जी के दुलारे
मैया जसमत के तुम प्यारे
कभी गोकुल गांव के ग्वाले
वन में धेनु चराने वाले
बालक रूप धरे भगवान
बोलो श्याम श्याम श्याम
कभी माखन हो चुराते
कभी गोपी को सताते
कभी बांसुरी हो बजाते
जमुना तट पर रास रचाते
ऐसे प्यारे तुम घनश्याम
बोलो श्याम श्याम श्याम
तुम हो बांके बहुत बिहारी
तुम बनवारी,किशन मुरारी
कभी हो मोर मुकुट के धारी
सोलह कला के अवतारी
कैसी सुंदर छवि अविराम
बोलो श्याम श्याम श्याम
जय जय कृपासिंधु सब लायक
सुमिरन तुम्हारा सुखदायक
तुम हो महाभारत के नायक
जय जय गीता ज्ञान के गायक
जाकर बसे द्वारका धाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
जय जय चक्र सुदर्शन धारी
मन में बसी है छवि तुम्हारी
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी
दर्शन दे दो ओ गिरधारी
तुमको कोटि कोटि प्रणाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
मदन मोहन बाहेती घोटू