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मंगलवार, 4 सितंबर 2012

उलझनें


जब भी तेरी याद आती है,
लबों पे मुस्कान थिरक जाती है,
पता नहीं वो कौन सी डोर है,
जो मुझे तुझसे बांध जाती है |


नजाने अनजाने होकर भी,
क्यों लगते हो मुझे अपनों से ?
बातें तेरी एहसास दिलाती,
रिश्ता हो अपना ज्यों जन्मों से |

पल भर का साथ भी तेरा,
दिल मे खुशियाँ बस भरता है,
पास तेरे बस आ जाने को,
ये मन क्यों तड़पा करता है ?

ये कैसा दिल का रिश्ता है,
न जाने क्या अंजाम है ?
हर वक्त क्यों याद आते हो,
इस रिश्ते का क्या नाम है ?

क्या उत्तर है मेरे प्रश्नो का,
क्यों इस कदर ये उलझने हैं ?
द्वंद में हैं अपने ही अंतर के,
क्या कभी ये प्रश्न सुलझने हैं ?

चुनाव लड़ने की घोषणा

चुनाव लड़ने की घोषणा

भाइयों,दोस्तों और मेरे शुभ चिंतकों,
मै आपको अभी से सूचित कर रहा हूँ
कि मै आने वाला आम चुनाव लड़ रहो हूँ
सभी राजनेतिक पार्टियों से मेरा मोह भंग हो गया है
इनके झूंठे वादों,भ्रष्टाचार और मंहगाई से,
आम आदमी तंग हो गया  है
इसलिए यदि आप साथ देंगे,
तो मै अकेले ही घोड़ी चढूँगा
और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडूंगा
ये सच है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है
पर अकेला जूता दुष्टों के सर फोड़  सकता है
इसलिए मैंने अपना चुनाव चिन्ह रखा है'जूता'
क्योंकि सब काम कराने का इसीमे है बूता
ये आपको काँटों से बचाता है
ठोकरों से  भी बचाता है
और सही सलामत मंजिल तक पहुंचाता है
ये आम आदमी का दोस्त है,
बड़ा मददगार है
और दुश्मनों से लड़ने के लिए,
सबसे सुगम हथियार है
सत्तारूढ़ पार्टी से जब भी कोई काम कराना होगा
तो जाहिर है,मुझको जूता  ही चलाना होगा
क्योंकि क्लिंटन हो या चिदंबरम,
जब जूता चल जाता है
तो खानेवाला और चलानेवाला,
बड़ी पब्लिसिटी पाता है
और आपका मुद्दा जनता के सामने आ जाता है
 मुझे विश्वास है,आपका सब काम ,
करवाउंगा मै जूते के बूते
क्योंकि मै जानता हूँ कि अगर मै,
आपकी उम्मीद पर खरा नहीं उतरा,
तो आप ही मुझे मारेंगे जूते
इसलिए कृपा करके अभी से नोट कीजिये
कि आने वाले चुनाव में जूते को ही बोट दीजिये
और दुआ कीजियेगा कि,
किसी भी पार्टी का बहुमत न आये
और कई दल मिलजुल कर सरकार बनाएं
और ऐसी सिचुवेशन में ,स्वतंत्र उम्मीदवार का,
महत्त्व तो आप जानते ही है
और आपके इस अदने से,जूतेवाले सेवक को,
तो आप पहचानते ही है
तोड़ जोड़ करके यदि बन गया मिनिस्टर
तो फिर आपकी सारी उम्मीद पर,
एकदम एसा खरा उतरूंगा
कि अपने चुनावक्षेत्र को,पोलिश कर,
एकदम जूते सा चमका दूंगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 3 सितंबर 2012

पति को पटाने के तीन नुस्खे

      पति को पटाने के तीन नुस्खे

                   १
अगर आप चाहती है कि आपके पति,
आपमें अरुचि ना रखें,
तो आप गरिष्ठ भोजन में अरुचि रखें
ताकि आपका बदन छरहरा रहे
और यौवन हरा भरा रहे
अपने शरीर को फैलने का मौका मत दो
और अपने पति को ,इधर उधर,
झाँकने का मौका मत दो
मतलब साफ़ है,यदि पति को पटाना है
तो आपको अपना वजन घटाना है
                    २
भजन,पूजन,कीर्तन,सब है आवश्यक
लेकिन ये अच्छे है,बस एक सीमा तक
धार्मिक बनो पर धर्म कि पराकाष्ठा मत करो
और देवताओं के चक्कर में ,अपने पति को मत बिसरो
क्योंकि पति भी होता है,एक रूप परमेश्वर का
उसकी सेवा में ही भला है घर भर का
भजन कीर्तन में इतना समय मत लगाओ
कि अपने पति को ही समय ना दे पाओ
यदि आपको अपने पति का प्यार पाना है
तो भगवान के साथ साथ,पति के गुण भी गाना है
                       ३
हमेशा मायके के गुण मत गाओ
और ससुरालवालों को बुरा मत बतलाओ
क्योंकि अब तुम्हारा घर,मायका नहीं,ससुराल है
और ससुराल वालों से मिला कर रखनी ताल है
पर सास,ननद और  रिश्तेदारों की सेवा के  चक्कर में
कई बार परेशानी भी हो जाती है घर में
इस चक्कर में खुद को इतना मत उलझादो
कि अपने प्यारे पतिदेव को ही भुलादो
अगर आपको प्यार का रस चखना है
तो अपने पति का पूरा पूरा ख्याल रखना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

एक छोटी सी प्रार्थना

एक छोटी सी प्रार्थना

हे कमलनयन!
किसी कमल नयनी,सुकोमल,
सुमुखी सुंदरी के नयनों से,
मेरे नयन  मिलवा दो
हे गिरिधारी!
अपने वक्श्थल पर,
द्वि गिरी धारण किये हुए,
यौवन से लदी,
किसी षोडसी कन्या से,
मेरा मिलन करवादो
हे चतुर्भुज!
किसी कोमल,कमनीय,
कमलनाल सी भुजाओं वाली,
कामिनी के करपाश में बंध कर,
मै भी चतुर्भुज हो जाऊं,एसा वर दो
हे हिरण्यमयी लक्ष्मी के नाथ,
किसी स्वर्णिम आभावाली,
स्वर्ण  सुंदरी की स्वर्णिम मुस्कराहटों से,
मेरा जीवन भी स्वर्णिम कर दो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

पानी की बूंद (बाल कविता)


पानी की बूंद-बूंद अमोल है,
इसका न कोई मोल है ;
जीवन देती है इसकी हर बूंद,
यही तो सबके बोल है |

जब बारिश बन गिनती,
मन आह्लादित करती है;
तर कर देती है हर कोना,
खुशी दिल में भर देती है |

प्यास बुझाती हर एक की,
जिंदगी बनती अनेक की;
इसके बिना सब सूखा-सुखा,
बातें हैं ये बड़े नेक की |

कसम हमे अब खानी है,
हर एक बूंद बचानी है;
व्यर्थ नहीं जाने देना है,
अमृत ही यह पानी है |

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