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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

योगी सरकार मिल मालिकों की सरकार

अलीगढ़।योगी सरकार में श्रम कानूनों का पालन नहीं कराया जा रहा है इसके विपरीत मिल मालिकों की पक्ष धारी कि जा रही है
मिल मालिकों ने 14 7 मजदूरों को श्रम कानूनों को लागू करने की मांग करते ही बगैर नोटिस दिए निकाला गया है।
 योगी मोदी सरकार में मिल मजदूरों की दशा अत्यधिक खराब है
स्थानीय वेब शराब व बीयर फैक्ट्री के निष्काषित मजदूरों का अनिश्चित कालीन धरना आज आठवें दिन भी जारी रहा।
जिला प्रशासन के उदासीन व्यवहार के चलते आंदोलन रत मजदूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है,इनका मानना है कि जिला प्रशासन फैक्ट्री मालिकों के हाथ में खिलौना बना हुआ है और फैक्ट्री प्रबन्धन के विरुद्ध कार्यवाही करने की उसमें हिम्मत नहीं है, जबकि मजदूरों की मांगें संवैधानिक एवं न्यायोचित हैं।मजदूरों का कहना है कि यदि शीघ्र ही फैक्ट्री प्रबन्धन पर दबाब बनाकर हमारी माँगे पूरी न करायी गई तो हम आंदोलन के अन्य विकल्पो पर विचार करने पर मजबूर होंगे,जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
इस अवसर पर आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुहेब शेरवानी, सचिव रामबाबू गुप्ता, रामवीर सिंह, जगदीश प्रसाद , धर्मवीर उपस्थित रहे।

कबूतरों की बस्ती की एक सुबह 

पौ फटी 
कबूतरों की बस्ती में हलचल मची 
एक बूढी कबूतरनी ने ,
अपने पंखों को फड़फड़ाया 
और पास में सोये अपने कबूतर को जगाया 
बोली जागो प्रीतम प्यारे 
मोर्निग उड़ान पर निकल चुके है दोस्त तुम्हारे 
तुम्हे भी व्यायाम के लिए जाना है 
विटामिन डी की कमी को दूर करने ,
थोड़ी देर धूप  भी खाना है 
आलस में डूबा कबूतर जब कुछ न बोला  
तो कबूतरनी  ने उसे झिंझोड़ा 
बोली उठो ,इस बुढ़ापे में हमें ही ,
अपनी सेहत का ध्यान खुद ही रखना पडेगा 
दूसरा कोई ख्याल नहीं रखेगा 
क्योंकि बच्चे तो अपना अपना नीड़ बसा  
हो गए है हमसे अलग 
मुश्किल से ही हमें पूछते है अब 
आप उधर व्यायाम  करके आओ,
इधर मैं कुछ दाना चुग कर आती हूँ 
आपके लिए ब्रेकफास्ट बनाती हूँ 
और सुनो तुम दो दिन से नहाये नहीं हो 
आते समय स्विंमिंगपूल में पंख फड़फड़ा कर आ जाना
और किसी अन्य कबूतरी से नैन मत लड़ाना 
एक बात और  याद रखना 
कुछ लोगो ने मंदिर के आसपास ,
बाजरे के दाने बिखरा रखे है ,उन्हें मत चखना 
इस तरह दाने बिखरा कर ,
ये लोग  सोचते है कि वो पुण्य कमा  रहे है 
पर दर असल वो हमारी कौम को ,
आलसी और निकम्मा बना रहे है  
 सुन कर के उनका वार्तालाप 
पड़ोस के घोसले में 'लिविंग इन रिलेशनशिप 'में
रहनेवाला एक जवान कबूतर का जोड़ा गया जाग  
 कबूतरनी ने ली अंगड़ाई 
'गुडमॉर्निंग किस' के लिए ,
कबूतर की चोंच से चोंच मिलाई 
वो मुस्कराई और बोली डार्लिंग आपका क्या प्रोग्राम है 
कहाँ गुजारनी आज की शाम है 
कबूतर बोला आज मैंने छुट्टी लेली है 
दिन  भर करना अठखेली है 
पहले हम स्वीमिंगपूल के किनारे जायेगे 
पूल में तैरती सुंदरियों के दीदार का मज़ा उठाएंगे 
बीच बीच में हम भी थोड़ी जलक्रीड़ा करेंगे 
चोंचे मिला कर ,रासलीला करेंगे 
और फिर उस चौथी मंजिल वाली बालकनी को 
अपनी इश्कगाह बनाएंगे 
गुटरगूँ कर पंख फैलाएंगे 
हंसी ख़ुशी दिन गुजारेंगे और फिर 
अपने घोंसले में लौट आएंगे 
पता नहीं क्यों लोग इतने संगदिल होते जारहे है 
जो हमारी इश्कगाहों याने अपनी बालकनियों पर ,
जाली लगवा रहे है 
वो लोग कभी जिनके प्रेमसन्देशे हम लेकर जाते थे 
कबूतर जा जा के गाने गाते थे 
आजकल वो ही गए है बन 
हमारे प्यार के दुश्मन 
बड़ी मुश्किल से कहीं कहीं मिलता है ठिकाना 
वरना तड़फता ही रहता ये दिल दीवाना 
कबूतरनी बोली छोडोजी ,
जब तक जवानी है ,मौज मना लें 
थोड़ा सा हंस लें ,थोड़ा मुस्करालें 
वरना फिर तो वो ही दूसरे कबूतरों की तरह ,
रोज रोज दाना चुगने ,दूर दूर जाना पड़ेगा 
गृहस्थी  की गाडी चलना पड़ेगा 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

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बुधवार, 27 मार्च 2019

अंकलजी 

अंकल जी 
हमारे हर काम में आप क्यों देते हो दखल जी 
अंकल जी 
हम जो भी करते है ,हमें करने दो ,
हमसे कुछ न कहो 
हम अपने में खुश है और आप भी ,
अपने में खुश रहो 
हमारे जीने के ढंग पर टेढ़ी नज़र न लगाओ 
'चिल 'की 'पिल 'लेकर चैन से  सो जाओ 
हमें ये न करो ,वो न करो कह कर टोकते हो  
बात  बात पर नसीहत देकर  रोकते हो  
ये मत भूलो कि हम वर्तमान है , आज है 
जमाने पर हमारा राज है 
कल देश की बागडोर हमें सम्भालनी है 
हम पढ़े लिखे यूथ है, हम में  क्या कमी है 
और आप बुझते हुए चिराग है,बोनस में जी रहे है 
तो क्यों हर बात पर अड़ंगा लगा कर ,हमारा खून पी रहे है    
आप अब हो गये है बीता हुआ कल जी 
अंकल जी 
हम होली के त्योंहार पर ,पानी भरे गुब्बारे 
अगर फेंक कर किसी पर मारे 
तो आप हो जाते है नाराज 
और हमें डाटते है होकर के लाल पीला 
और वो आपके किशन कन्हैया 
जब फेंक कर के कंकरिया 
फोड़ा करते थे गोपियों की गगरिया 
तो उसको आप कहते है भगवान की बाल लीला 
आप मन में क्यों इतना भेदभाव रखते है 
हमें डाटते है और उनका नाम जपते है 
हमारी ग्रेटनेस देखो ,हम फिर भी ,
भले ही ऊपरी मन से ,आपकी इज्जत करते रहते है 
कभी भी आपको बूढा खूसट नहीं कहा ,
हमेशा आपको अंकल जी कहते है 
और आप सरे आम 
करते है हमें बदनाम 
हमेशा हमारे काम में टांग अड़ाते हो 
हमारी शिकायत कर ,
मम्मी पापा से डांट पड़वाते हो 
अरे हमारा तो बाल स्वभाव है ,
और बच्चे होते है चंचल जी 
अंकल जी  
देखो ,हम जब तक अच्छे है ,अच्छे है 
पर मुंहफट है ,अकल के कच्चे है 
हम भी सब पर नज़र रखते है ,
हमारा मुंह मत खुलवाओ 
हमसे कड़वा सत्य मत बुलवाओ 
हमें तो हमारी ताका झांकी कर लताड़ते हो 
पर हमने देखा है ,मौका मिलने पर ,
आप भी आती जाती  आंटियों को ताड़ते हो 
बुझती हुई आँखों में रौशनी आ जाती है 
चेहरे पर मुस्कराहट छा जाती है 
झुकी हुई कमर तन जाती है और 
शकल चमकने लगती है 
सुंदरियों को देख कर आपकी लार टपकने लगती है  
आपकी आशिकमिजाजी ,बीते दिनों की यादें दिला ,
आपको करती है बेकल जी 
अंकल जी 
 हमारी उमर में आपने भी क्या क्या शैतानिया की थी ,
क्या गए हो भूल 
आपने खिलाये थे क्या क्या  गुल 
कितनी लड़कियों को छेड़ा था 
कितनी बार किया बखेड़ा था 
और हम कुछ करें तो खफा होते हो 
नाराज हम पर हर दफा होते हो 
अंकल ,अब जमाना बदल गया है 
अब खुल्लमखुल्ला सब कुछ चलता है 
संस्कार का सूरज पहले पूरब से निकलता था 
अब पश्चिम से निकलता है 
क्या आपके जमाने में होते थे टेलीविज़न और इंटरनेट 
क्या कभी आपने आंटीजी से किया था मोबाइल पर चेट 
आज की पीढ़ी ,पुआ परांठे नहीं ,पीज़ा बर्गर खाती  है 
घर पर खाना नहीं बनता ,फोन कर बाज़ार से खाना मंगाती है 
आज की लड़कियां ,हमारी उमर के लड़कों से ,
छेड़छाड़ की अपेक्षा रखती है 
नहीं तो उन्हें निरा पोंगा पंडित समझती है 
आप भी थोड़ा सा ,जमाने के मुताबिक़ ढल जाओ 
नयी पीढ़ी के संग ,सुर में सुर मिलाओ 
तभी होगी आपकी कदर जी 
अंकल जी 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

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