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गुरुवार, 19 जुलाई 2018

गंगा और गंगोत्री 

मांग में जिसका सिन्दूरी रंग है  
सदा सुख दुःख में जो रहता संग है 
प्यार करता ,तुम्हारा  मनमीत है 
जिंदगी का जो मधुर  संगीत  है 
लहलहाई जिसने जीवन की लता 
लाया है जो जिंदगी में पूर्णता 
जो हृदय से तुम्हे करता स्नेह है 
खुश रहो तुम यही जिसका ध्येय है 
रात दिन खटता  है जो परिवार हित 
करती करवा चौथ तुम जिस प्यार हित 
दिया जिसने सुख तुम्हे मातृत्व का 
लुटाता जो खजाना ,अपनत्व  का 
सुख सदा बरसाता जिसका साथ है 
जिसके कारण सुहागन हर रात है 
जिसके संग ही जिंदगी में है ख़ुशी 
जिसके कारण होठों पर थिरके हंसी 
संवरना सजना सभी जिसके लिए 
मुस्करा तुम संग में जिसके  जिये 
मुश्किलों में साथ जो हरदम खड़ा 
जिसकी बाहों का सहारा है बड़ा 
जो है हमदम ,दोस्त है और हमसफ़र 
जिसके संग बंधन बंधा सारी उमर 
जिसके कारण खनकती है चूड़ियां 
ऐसा प्यारा पिया है जिसने दिया 
ख्याल रखता जो तुम्हारा सर्वदा 
प्यार की गंगा बहाता जो सदा 
गंगा से गंगोत्री अति पूज्य है 
पिता माता पति के अति पूज्य है 
सास का गुणगान करना चाहिए 
ससुर का सन्मान करना चाहिए 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

Re:

Kyaa baat hai,  Baheti ji.

Bechare nimboo ki vyatha, ati sunder shabdon mein likhi hai.

On Thu, 19 Jul 2018, 18:14 madan mohan Baheti, <baheti.mm@gmail.com> wrote:
बेचारे नीबू 

भले हमारी स्वर्णिम आभा ,भले हमारी मनहर खुशबू 
फिर भी बलि पर हम चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 
सारे लोग स्वाद के मारे ,हमें काटते और निचोड़ते 
बूँद बूँद सब रस  ले लेते ,हमें कहीं का नहीं छोड़ते 
सब्जी,दाल,सलाद  सभीका ,स्वाद बढ़ाने हम कटते है
सभी तरह की चाट बनालो ,स्वाद चटपटा हम करते है 
हमें निचोड़ शिकंजी बनती , गरमी में ठंडक  पाने को 
हमको काट अचार बनाते ,पूरे साल ,लोग खाने को 
बुरी नज़र से बचने को भी ,हमें काम में लाया जाता 
दरवाजों पर मिरची के संग ,हमको है लटकाया जाता 
टोने और टोटके में भी ,बढ़ चढ़ होता  काम हमारा 
नयी कार की पूजा में भी ,होता है  बलिदान हमारा 
कर्मकांड में बलि हमारी ,नज़रें झाड़ दिया करती है 
ढेरों दूध ,हमारे रस की ,बूंदे   फाड़ दिया करती  है 
चूरण और पचन पाचन में ,कई रोग की हम भेषज है 
छोटे है पर अति उपयोगी ,हम मोसम्बी के वंशज है 
हम भरपूर विटामिन सी से ,हर जिव्हा पर करते जादू 
फिर भी हम बलि पर चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '
बेचारे नीबू 

भले हमारी स्वर्णिम आभा ,भले हमारी मनहर खुशबू 
फिर भी बलि पर हम चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 
सारे लोग स्वाद के मारे ,हमें काटते और निचोड़ते 
बूँद बूँद सब रस  ले लेते ,हमें कहीं का नहीं छोड़ते 
सब्जी,दाल,सलाद  सभीका ,स्वाद बढ़ाने हम कटते है
सभी तरह की चाट बनालो ,स्वाद चटपटा हम करते है 
हमें निचोड़ शिकंजी बनती , गरमी में ठंडक  पाने को 
हमको काट अचार बनाते ,पूरे साल ,लोग खाने को 
बुरी नज़र से बचने को भी ,हमें काम में लाया जाता 
दरवाजों पर मिरची के संग ,हमको है लटकाया जाता 
टोने और टोटके में भी ,बढ़ चढ़ होता  काम हमारा 
नयी कार की पूजा में भी ,होता है  बलिदान हमारा 
कर्मकांड में बलि हमारी ,नज़रें झाड़ दिया करती है 
ढेरों दूध ,हमारे रस की ,बूंदे   फाड़ दिया करती  है 
चूरण और पचन पाचन में ,कई रोग की हम भेषज है 
छोटे है पर अति उपयोगी ,हम मोसम्बी के वंशज है 
हम भरपूर विटामिन सी से ,हर जिव्हा पर करते जादू 
फिर भी हम बलि पर चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

शनिवार, 14 जुलाई 2018

ये उत्तर प्रदेश है 

ये उत्तम है,सर्वोत्तम है ,इसकी बात विशेष है 
सबसे प्यारा,सबसे न्यारा ,ये उत्तर परदेश  है 
ये मेरा देश है ,उत्तर प्रदेश है 
जन्मभूमि यह श्रीकृष्ण की ,यहीं पे जन्मे राम है 
मथुरा ,वृन्दावन काशी है और अयोध्या धाम है 
गंगा और गोमती बहती सरयू भी अविराम   है 
धर्म कर्म शिक्षा संस्कृती का ,यहीं हुआ उत्थान है 
दिया बुद्ध ने ,सारनाथ में ,यहीं ज्ञान सन्देश है 
सबसे प्यारा ,सबसे न्यारा ,ये उत्तर परदेश है 
ये मेरा देश है ,उत्तरप्रदेश है 
शष्यश्यामला है ये धरती ,सभी तरफ हरियाली है 
है समृद्ध यहाँ के वासी ,सुख शांति, खुशहाली है 
खेत लहलहाते है फसलों से,फलों लदी हर डाली है 
रहनसहन और खानपान में ,इसकी बात निराली है 
प्रगति पथ पर बढ़ता जाता ,बदल रहा परिवेश है 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा ये उत्तर परदेश  है 
ये मेरा देश है ,उत्तरप्रदेश है 
बड़ी सुहानी सुबहे बनारस और अवध की शाम है 
 वृन्दावन  की गली गली में ,,राधे राधे   नाम है 
लखनऊ की मशहूर नज़ाकत और चिकन का काम है 
और यहीं पर  ताजमहल है ,जो भारत की शान है   
यहाँ बनारस की साड़ी है ,गंगा घाट विशेष है 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा ,ये उत्तर परदेश  है 
ये मेरा देश है,उत्तरप्रदेश है 
गन्ने की खेती होती है ,गुड़ से मीठे लोग है 
मथुरा के पेड़े से लगता ,कान्हा जी का भोग है 
यहां आगरा के पेठे है और खुरजा की खुरचन है 
गरम जलेबी ,पूरी कचौड़ी सबका ही प्रिय भोजन  है
वाराणसी के ठंडाई और मघई पान विशेष है 
सबसे प्यारा ,सबसे न्यारा ,ये उत्तर परदेश है 
ये मेरा देश है ,उत्तर प्रदेश है 
सभी समस्याओं का उत्तर देने में ये सक्षम है 
कहते है उत्तर प्रदेश हम ,पर प्रदेश ये उत्तम है 
यहाँ प्रयाग में गंगा जमुना सरस्वती का संगम है 
भाई भाई से मिल कर रहते ,यहाँ पे हिन्दू मुस्लिम है 
मिल कर मनती  ईद दिवाली ,भातृभाव सन्देश है
सबसे प्यारा सबसे न्यारा ये उत्तर परदेश है 
ये मेरा देश है ,उत्तर प्रदेश है 
 हस्तशिल्प उद्योग यहाँ पर ,गाँव गाँव में विकसित है 
हर बच्चा ,अब कंप्यूटर में ,शिक्षित और प्रशिक्षित है 
सड़क रेल का जाल बिछा है ,वातावरण सुरक्षित है 
नए नए उद्योग यहाँ पर रोज हो रहे विकसित है 
आमंत्रण सरकार दे रही सुविधा कई विशेष है 
सबसे प्यारा ,सबसे न्यारा ,ये उत्तर परदेश है 
ये मेरा देश है ,उत्तर प्रदेश है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

सोमवार, 9 जुलाई 2018

मैं हूँ ताबेदार तुम्हारा 

  मेरा घर संसार तुम्ही से 
खुशियां और त्योंहार तुम्ही से 
जो भी है सरकार  तुम्ही से 
सारा दारमदार  तुम्ही से 
मुझमे नवजीवन भरता है ,
मेरी सजनी प्यार तुम्हारा 
मैं हूँ ताबेदार तुम्हारा 

चुटकी भर सिन्दूर मांग में ,
डाल फंसाया प्रेमजाल में 
कैद किया मुझको बिंदिया में,
और सजाया मुझे भाल में 
हाथों की हथकड़ी बना कर ,
मुझे चूड़ियों में है बाँधा 
या फिर पावों की बिछिया में,
रहा सिमिट मैं सीधासादा 
एड़ी से लेकर चोंटी तक ,
फैला कारागार तुम्हारा 
मैं हूँ ताबेदार तुम्हारा 

नहीं मुताबिक़ अपने मन के ,
जी सकता मैं ,कभी चाह कर 
पका अधपका खाना पड़ता ,
मुश्किल से ,वो भी सराह कर 
गलती से ,कोई औरत की ,
तारीफ़ कर दी,खैर नहीं है 
'कोर्ट मार्शल 'हो जाने में ,
मेरा ,लगती देर नहीं है 
तुम्हारे डर आगे दबता ,
मन का सभी गुबार हमारा 
मैं हूँ ताबेदार तुम्हारा
 
तुम सजधज कर ,रूप बाण से ,
घायल करती मेरा तनमन 
मात्र इशारे पर ऊँगली के,
नाच करूं मैं कठपुतली बन 
जाने कैसा आकर्षण है 
तुम्हारी मदभरी नज़र में 
बोझा लदे हुए गदहे सा ,
भागा करता इधर उधर मैं 
तुम को खुश रख कर ही मिलता ,
प्यार भरा व्यवहार तुम्हारा 
मैं हूँ ताबेदार तुम्हारा 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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