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रविवार, 2 जुलाई 2017

बुढ़ापे की एक शाम ,ऐसे भी कट जाती है 

दो वरिष्ठ वृद्धजन ,
अपनी तन्हाई की शामे ,
इस तरह बिताते है 
शहर की व्यस्त सड़क पर ,
फैशन गारमेंट की दूकान के सामने,
सीढ़ियों पर बैठ कर ,
इधर उधर नज़रें घुमाते है 
और घंटो बतियाते है 
उनका यह अड्डा और ये दिनचर्या ,
यार दोस्तों में चर्चा का विषय बन गया है 
आखिर  एक दिन हमने पूछ ही लिया ,
रोज घंटो करते ,इतनी बातें होती ही क्या है 
उनमे से एक मुस्कराया और बोला 
यार हम तो वहां बैठ कर,नज़रें सेकते है 
आती जाती हुई महिलाओं को देखते है 
अगर महिला जवान हुई ,
तो उसके रूप की चर्चा करते है 
और उसकी हुलिया और चालढाल ,
फिल्म की किस हीरोइन से मिलती जुलती है ,
यही सोचा करते है 
अगर वो महिला,प्रोढ़ा या ढलती उमर की हुई,
तो गौर से निहारते है उसकी हालत 
और खंडहर को देख कर ,
ये अंदाज लगाने की कोशिश करते है  
कि अपने पूर्ण वैभव के दिनों में,
कितनी बुलंद रही  होगी वह इमारत 
और अगर वो बढ़ती हुई उमर की ,
कमसिन किशोरी हुई तो कयास लगाते है ,
कि बड़ी होकर वो कैसी नज़र आएगी 
अपने हुस्न के जादू से कितनो पर सितम ढायेगी 
यही नहीं ,दूकान में और भी ,
कितनी ही जोड़ियां आती जाती है 
उनकी गतिविधियां ,
उनके पारिवारिक जीवन के बारे में ,
काफी कुछ बतलाती है 
पति पत्नी की जोड़ी  दूकान के अंदर ,
साथ साथ तो जाती है 
पर थोड़ी देर बाद पति,
 बाहर निकल कर ,टहलने लगता है 
औरपत्नी अंदर ही रह जाती है
इससे पता लगता है मियां बीबी में ,
थोड़ी कम ही बनती है 
और अपनी अपनी पसंद को लेकर ,
दोनों में  में काफी ठनती है 
और कुछ पति पत्नी जब  बाहर आते है और 
पति का हाथ, शॉपिंग बैग्स से होता है लदा 
इससे पता लग जाता है ,
कि उनका वैवाहिक जीवन  
खुशियों से भरा रहेगा सदा 
बस यही हमारा शगल है 
मस्ती से वक़्त जाता गुजर है 
इन सब चीजों पर चर्चाएं ,
हमारे मन को बहलाती है 
और बुढ़ापे की एक और शाम ,
मस्ती से  कट जाती है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 28 जून 2017

एक दिन तुम ना रहोगे 


कब तलक यूं ही घुटोगे और आंसूं बन बहोगे 
एक दिन मै ना रहूँगा ,एक दिन तुम ना रहोगे 

हर इमारत की बुलंदी ,चार दिन की चांदनी है 
जहाँ पर रौनक कभी थी ,आज स्मारक बनी है 
पुराने महलों ,किलों से ,खंडहर बन कर ढ़होगे 
एक दिन मै ना रहूँगा,एक दिन तुम ना रहोगे 

तुमने तिनका तिनका चुन कर ,घोंसला था जो बनाया 
तिनका तिनका हो गया वो ,चार दिन बस  काम आया 
जाएंगे उड़ सब परिंदे ,  तुम बिलखते ही रहोगे 
एक दिन मै ना रहूंगा ,एक दिन तुम ना रहोगे 

वक़्त किसके पास है,कर कोई रहता व्यस्त हरदम 
सभी पीड़ित,व्यथित ,चिंतित,कोई ज्यादा तो कोई कम 
नहीं कोई भी सुनेगा ,वेदना किससे  कहोगे 
एक दिन मै ना रहूँगा,एक दिन तुम ना रहोगे 

बहुत गर्वित हो रहे हो,कर कमाई ढेर सारी 
लाख तुम करलो जतन पर जाओगे बस हाथ खाली 
बन के एक तस्वीर,कुछ दिन,दीवारों पर ,टंग रहोगे 
एक दिन मै ना रहूँगा,एक दिन तुम ना रहोगे 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

खोट 

खोट थोड़ी हवाओं में है ,खोट कुछ मौसम में है 
खोट थोड़ी तुम में भी है, खोट थोड़ी हम में है 

दूसरों की कमियां ही हम सदा रहते  आंकते 
फटे अपने  गरेबाँ में ,कभी भी ना झांकते 
नाच ना आता ,बताते ,खोट कुछ आंगन में है 
खोट थोड़ी तुम में हैं और खोट थोड़ी हम में है 

खोट आयी दूध में तो ,फट गया ,छेना बना 
विचारों में खोट आयी ,हो गया मन अनमना 
घटा घिर यदि ना बरसती ,खोट क्या सावन में है 
खोट थोड़ी तुम में है और खोट थोड़ी हम में है 

जिंदगी में कुछ गलत हो और बुरे हो हाल गर 
दोष मढ़ते कुंडली पर ,और ग्रहों की चाल पर 
जो दहेज़ लाइ नहीं तो ,खोट क्या दुल्हन में है 
खोट थोड़ी तुम में है और खोट थोड़ी हम में है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पियक्कड़ 


नहीं अप्सरा   बूढ़ी  होती ,   हूरें  रहे  जवान 
वृद्ध देवता कभी न होते ,करे सोमरस पान 
दवा और दारू से होते ,सारे मर्ज  सही है 
कभी कभी दो घूँट चढालो,इसमें हर्ज नहीं है 
भूलो दुनिया भर के सब गम और चिंताएं सारी 
डूब जाओ मस्ती में शामे हो गुलजार तुम्हारी 
कोई इसको मदिरा कहता ,कोई कहता हाला 
कोई घर के अंदर पीता  ,कोई जा मधुशाला 
चाहे देशी हो कि विदेशी ,मज़ा सभी में आता 
हम अपने पैसे की पीते ,कोई का क्या जाता  
हम दारू के सच्चे प्रेमी ,कोई से न डरे है 
फिर क्यों हमें पियक्कड़ कह कर सब बदनाम करे है 

घोटू 

शुक्रवार, 23 जून 2017

मीरा और  गोविन्द 
ए  मीरा अब छोड़  दे,जपना गोविंद नाम 
गोविंद तो कोविंद हुए ,कृष्ण हो गये राम 
कृष्ण हो गए राम ,देख कलयुग की माया 
राष्ट्रपति बनने का  उनने  दांव   लगाया 
कोविंद ,गोविंद भेद न जाने हृदय अधीरा 
कह 'घोटू' कवि ,पीछे पीछे  दौड़ी  मीरा 
२ 
आठ रानियों के पति ,फिर भी ना संतोष 
बनने को पति राष्ट्र का ,दिखा रहे है जोश
दिखा रहे है जोश ,प्रेम में  जिनके पागल 
बनी दीवानी ,मीरा ,भटकी ,जंगल जंगल 
प्रेम दिवानी मीरा ने पर आस न छोड़ी 
भाग रही है उनके पीछे  ,दौड़ी  दौड़ी 

घोटू  
 

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