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मंगलवार, 4 अगस्त 2015

हुस्नवाले -एक ग़ज़ल

        हुस्नवाले -एक ग़ज़ल

हुस्न वालो के भी सीने में धड़कता दिल है
बड़ा ही नाजुक है,नायाब,पाना मुश्किल है
बड़े ही सलीके से ,छुपा कर के रखते हैं,
प्यार उनका बड़ी किस्मत से होता हासिल है
बड़ा ही खूबसूरत जिस्म,गजब का जलवा ,
उनकी हर एक अदा ,तारीफों के काबिल है
वो यूं ही मुस्करा के ,कितने कत्ल करते है ,
हमेशा जालिम ही होता नहीं हर कातिल है
गोरी पगथलियां भी ,पांवों में दबी है उनके ,
शान से गाल पे बैठा हुआ, काला तिल है
देख कर उनको ये दिल बल्लियों उछलता है ,
उस पे करने में काबू होती बड़ी मुश्किल है
उनकी 'ना ना' में ही मंजूरी छुपी रहती  है ,
उनके मुंह से 'हाँ 'कहलाना ,बड़ी मुश्किल है
बड़ी मुद्दत से उनकी  आरजू में  बेकल  है ,
बड़ी सूनी पडी'घोटू' ये दिल की महफ़िल है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दुनिया-सब्जीमंडी

         दुनिया-सब्जीमंडी

ये दुनिया सब्जीमंडी है और हम सब सब्जी भाजी है
बासी  है  कोई  सूख  रही ,तो कोई  एकदम  ताज़ी है
कोई बिन पेंदे का बेंगन ,जो एक जगह ना टिकता है
वह जाता भुना आग में है और उसका भुड़ता बनता है
है कांटेदार कोई कटहल ,लसलसी,चिपचिपी है भीतर
तो किसी खेत की मूली है, कोई ,उजली,दुबली  सुन्दर
है कोई हरी हरी मिरची  चरपरी,तेज,तीखी तीखी
मुंह जलता ,बड़े प्रेम से पर ,सब खाते है ,करते सी सी
कोई पत्ता  गोभी जैसी ,है जिसकी थाह बड़ी मुश्किल
हर परत दर परत पत्ते है,अंदर ना मिल पाता है दिल
कोई जमीन से जुडी हुई,  सीधी सादी और   मामूली 
वो हरदम काटी जाती है ,जैसे कटते गाजर,मूली
है कोई मटर ,छिलके   छूटे  ,दाने दाने है हो जाती 
कट कोई प्याज सी आँखों में ,आंसू भरती पर मनभाती 
कितने ही भरे विटामिन हो,हो स्वाद भले ही वो कितनी
बस कट जाना और पक जाना,सब्जी की नियति है इतनी
कोई  कद्दू सी गोलमोल ,कोई तरोई सी  है कमसिन  
 तो कोई आलू के जैसी ,है काम न चलता जिसके बिन
जिसके संग मिलने जुलने में ,हर सब्जी रहती राजी है
ये दुनिया सब्जी मंडी है ,और हम सब सब्जी भाजी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दो क्षणिकाएँ

         दो क्षणिकाएँ
                  १
वो दूरदृष्टा हैं ,पर उनकी ,
दूर की दृष्टी है कमजोर
उनके चश्मे का नंबर है ,
माइनस फोर
                  २
मैंने छोटे बेटे से कहा ,
पिया करो दूध
इससे ताक़त मिलती है ,
बदन होता है मजबूत
बेटा ने कहा ये बात है झूठ
मेरे दूध के दांत ,
कितनी जल्दी गए सब टूट

घोटू

सोमवार, 3 अगस्त 2015

दिल्ली का बवाल -पांच दोहे

       दिल्ली का बवाल -पांच दोहे
                        १
दिल्ली में है कर रहे ,ये दो लोग बवाल
एक तो राहुल भाई है,एक केजरीवाल
                        २
एक सत्ता पाकर हुआ,पागल और मदमस्त
दूजा सत्ताच्युत हुआ  ,त्रस्त और  है  पस्त
                          ३ 
एक 'पोस्टर वार ' कर, मचा रहा उत्पात
एक बौखला रहा है, जब  से  खायी  मात
                          ४
एक ने थे वादे किये , कर ना  पाया  पूर्ण
बाँट  रहा  है  दूसरा  , नव वादों का चूर्ण
                           ५
एक पदयात्रा करे, एक सब में टांग अड़ाय
'लाइम लाइट ' में  रहें,  दोनों  करते 'ट्राय '

घोटू

रविवार, 2 अगस्त 2015

गर दोस्तों का साथ रहे.......... जिन्दगी जिन्दाबाद रहे..........

एकाएक हो जाती हैं
हमारी कई आंखें  
हमारे कई हाथ,
बढ़ जाती है ताकत
बढ़ जाता है कई गुना
हमारा हौसला,
हो जाती है एकाएक
बहुत दूर तक हमारी  
हमारी पहुंच,
इसतरह आसान हो जाते हैं
हमारे तमाम काम
और बहुत आसान सी 
हो जाती है जिन्दगी हमारी,
जब हो जाते हैं 
कुछ अच्छे दोस्त हमारे साथ...
हम न होकर भी हो जाते हैं 
डॉक्टर-इंजीनियर-मैनेजर
वकील-पुलिस ऑफीसर
या फिर राजनीतिज्ञ,
क्योंकि हमारे दोस्त हैं न ये सब?!
कोई भी दिक्कत हो
कोई भी अड़चन हो,
बस दोस्त को फोन घुमाना है
कोई भी - कैसी भी समस्या हो
समाधान फटाफट हो जाना है...

गर दोस्तों का साथ रहे
जिन्दगी जिन्दाबाद रहे...

- विशाल चर्चित

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