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शनिवार, 30 मई 2015

मोदी उचाव -पप्पूजी से

           मोदी  उचाव -पप्पूजी से

सत्ताच्युत शहजादे जी ,
और रूठ कर लौटे हुए राजकुमार
तुम्हे नरेन्द्र मोदी का ढेर सारा प्यार
जब तुम्हारी पार्टी पॉवर में थी,
हुए थे बहुत घोटाले
तुम्हारे इशारों पर नाचते थे सारे
देश की जनता को जब ये नज़र आया
इस चुनाव में तुम्हे सत्ता से हटाया
ये बात तुम्हारी पार्टी पचा नहीं पारही है
और बिना बात ,हाय तोबा मचा रही है
हमारे एक साल के शासन में ,
जब तुम ढूंढ न पाये कोई लफ़ड़े
तो तुमको नज़र आने लगे मेरे कपडे
विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के सामने या ठन्डे मुल्कों में ,
अगर मैं सूट पहनू तो तुम्हे सूट नहीं करता
और मैं  तुम्हारी तरह ,
जीन्स और टीशर्ट पहन नहीं सकता
क्योकि हर पद की होती है एक मर्यादा
अब तुम्हे क्या कहूँ ज्यादा
अगर मैं महात्मा गांधी की तरह धोती पहनू ,
तो बोलोगे मोदी कर रहा नाटक है
हम गांधी है और गांधीजी की वेशभूषा ,
हमारी विरासत है
मैं जैकेट पहनू तो तुम कहोगे कि  उस पर,
तुम्हारे पिताजी के नाना का नाम है
नक़ल करना ही मोदीजी का काम है
कॉंग्रेस साठ  साल से नारा दे रही है कि ,
हम गरीबी हटाने वाले है
मोदीजी ने नाम बदल कर कह दिया
कि अच्छे दिन आने वाले है
हम कोई भी योजना लाते है ,तुम कहते हो,
ये तुम्हारी सरकार ने चालू की थी
और मोदीजी ने नाम बदल कर,
 वाह वाही जीती 
मैं कुर्ता पाजामा भी पहनू तो कहोगे ,
ये तो  मेरी नक़ल है
पर अगर तुममे थोड़ी सी भी अकल है
तो देखोगे कि तुम्हारे कुरते की बांहे
पूरी लम्बी  है ,जिन्हे तुम चढ़ाते हो गाहे बगाहे
और मेरे कुरते की तो पहले से ही है आधी बाहें
दर असल छप्पन दिनों के अज्ञातवास में
तुमने क्या किया बैंकॉक में
मुझे ये बात तो नहीं मालूम
पर जबसे लौट के आये हो तुम
जैसे कोई तुतला र को ल बोलता है
तुम 'झ 'को 'ट 'बोलने लगे हो
पहले झल्ले थे अब ठल्ले  लगने लगे हो
' सूझ बूझ 'की सरकार  को ,
' सूट बूट 'की सरकार  कहते हो
और यूं ही दिन भर बिलबिलाते रहते हो
'मैं गरीब किसान के घर गया था ,
मोदीजी किसी किसान के घर गए क्या ?
कल ये पूछोगे 'मैं इतने दिन बैंकॉक रहा ,
मोदीजी बैंकॉक रहे क्या  ?
भैया तुम्हे जो करना है तुम करो,
मुझे जो उचित लगता है ,मैं करूंगा
 जनता के भले के लिए मैं जीऊंगा,मरूंगा
तुम्हारे बेवकूफी भरे जुमलों पर,
तुम्हारे चमचे ताली बजा देते है
कुछ न्यूज़ चैनल हेड  लाइन बना देते है
कुछ तुम्हे कांग्रेस प्रेसिडेंट बनाने की कह ,
तुम्हे सर पर चढ़ाते रहते है
अब तुम्ही समझ जाओ,
लोग तुम्हे पप्पू क्यों कहते है       

मदन मोहन बाहेती'घोटू'          

बुधवार, 27 मई 2015

वहाँ के वहीँ

          वहाँ  के वहीँ

वो पहुंचे ,कहाँ से  कहीं है
हम जहाँ थे, वहीँ  के वहीँ है 
मुश्किलें सामने सब खड़ी थी
उनमे जज्बा था,हिम्मत बड़ी थी
हम बैठे रहे   बन  के  बुजदिल
वो गए बढ़ते और पा ली मंजिल
हम रहे हाथ पर हाथ धर कर
सिर्फ किस्मत पे विश्वास कर  कर
कर्म करिये, वचन ये सही  है
वो  पहुंचे कहाँ से कहीं है
जब मिला ना जो कुछ,किसको कोसें  
आदमी बढ़ता , खुद के  भरोसे
है जरूरी  बहुत  कर्म करना 
यदि जीवन में है आगे बढ़ना
वो मदद करता  उसकी ही प्यारे
मुश्किलों में जो हिम्मत न हारे
बात अब ये समझ आ गयी है
वो  पहुंचे ,कहाँ  से  कहीं है
 हम जहाँ थे , वहीँ  के वहीँ है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मेरा मेहबूब

           मेरा मेहबूब

मुझको मालूम है कि है वो लापरवाह नहीं
मगर मेरी तो उसको  ज़रा भी परवाह नहीं
उसके वो गेसू,उसका हुस्न,तराशा वो बदन
करता परवाह ,बेपनाह ,करके सारे  जतन
उसको फुर्सत ही कहाँ मिलती है ले मेरी खबर
कभी तो डाले मुझ पे ,प्रेम भरी अपनी नज़र
बैठ कर,आईने में, खुद को निहारा करता
कभी चेहरा तो कभी जुल्फें संवारा  करता
ये सब वो करताहै तो मुझको ही रिझाने को,
कैसे कहदूं कि  उसके दिल में मेरी चाह नहीं
मुझको मालूम है कि है वो लापरवाह नहीं
नहीं ये बेरुखी है ,ये है उसकी मजबूरी
बना के रख्खी है जो उसने मुझसे ये दूरी
क्योंकि मै मिलता हूँ उससे तो होता बेकाबू
इस तरह चलता मुझ पे हुस्न का उसके जादू
मुझको कुछ इस तरह से उसपे प्यार आता है
बिगड़ उसका ,किया श्रृंगार  सारा जाता  है
फिर भी होता नहीं है ख़त्म मेरा जोश-ओ-जूनून ,
इसलिए डरता हूँ और करता ये गुनाह नहीं
मुझको मालूम है कि है वो लापरवाह  नहीं
मगर मेरी तो उसको ज़रा भी परवाह नहीं

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पप्पू जी से

         पप्पू जी से
                 १
यूं तुम क्यों बिलबिलाते हो,हार की अपनी बरसी पे
दिये गम इतने दिन, आये चले अब मातमपुर्सी  पे
आदमी बैठ कर कुर्सी पे अक्सर भूल जाता  है,
उसी जनता जनार्दन को ,बिठाया जिसने कुर्सी  पे
                            २
इंडिया और इटली में ,फरक इतना नज़र आता ,
          यहाँ पर राम के चर्चे ,वहां पर रोम की चर्चें
बहुत मंहगा हमें पड़ता है संगेमरमर इटली का,
          और इटली के पीज़ा के ,चौगुने दाम हम खर्चें
बहू इटली की लाना भी,बड़ा मंहगा पड़ा हमको,
          हुआ है ऐसा पप्पू जो,रोज करता  बखेड़ा है
यहाँ जनता जनार्दन सब,कुतुबमीनार सी सीधी ,
        मगर पप्पू तो इटली के पीसाटावर सा टेढ़ा है
                           
घोटू 

  

त्रिदेव और त्रिदेवी

           त्रिदेव और त्रिदेवी

है ब्रह्मा कर्ता सृष्टी के ,कराते काम सब हमसे ,
      सरस्वती ज्ञान की देवी,सभी अज्ञान  हरती है
देव विष्णुजी भर्ता है,करें सबका भरण पोषण ,
       लक्ष्मी देवी धन की है, हमें संपन्न करती है
और शंकरजी हर्ता है,हरे सब मुश्किलें ,सबकी ,
       और माँ दुर्गा देवी है ,सभी को देती है  शक्ती
ये तीनो देवता ,देवी,चलाते चक्र जीवन का,
       है कर्ता ,भर्ता ,हर्ता ये,इन्ही की हम करें भक्ति

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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