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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

मन नहीं लगता

      मन नहीं लगता

मैके में बीबी हो
और बंद टी वी हो ,
          घर भर में चुप्पी हो,
               मन नहीं लगता
सजी हुई थाली हो
पेट पर न खाली हो
           तो कुछ भी खाने में
                मन नहीं लगता
नयन मिले कोई  संग
चढ़ता जब प्यार रंग,
               तो कुछ भी करने में,
                     मन नहीं लगता
मन चाहे ,नींद आये
सपनो में वो आये
                नींद मगर उड़ जाती ,
                       मन नहीं  लगता
जवानी की सब बातें
बन जाती है यादें
             क्या करें बुढ़ापे में,
                मन नहीं लगता    
साथ नहीं देता तन
भटकता ही रहता मन
               अब तो इस जीवन में
                     मन नहीं लगता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

तुमने दाढ़ी बढ़ाई ..

          तुमने दाढ़ी बढ़ाई ..

मीठी मीठी बातें तेरी ,मोहती है ,मन मेरा ,
            तेरी एक मुस्कान काफी ,दिल लगाने के लिए
जादू तेरे जिस्म में है,हर अदा में,प्यार में ,
              जानेमन ,तू बनी है ,जादू चलाने के लिए
तेरी तो हर एक शरारत ,लूट लेती दिल मेरा,
              हमेशा तैयार हूँ मैं ,लुटे  जाने के लिए
सर पे चढ़ कर बोलती है,ये तेरी दिवानगी ,
              मैंने कितने पापड बेले ,तुझको पाने के लिए
हो सिरहाना तेरे तन  का ,हाथ सर सहला रहे ,
                और मुझको चाहिए क्या ,नींद आने के लिए
मैंने जब आगोश में उनको लिया ,कहने लगे,
                 तुमने दाढ़ी  बढ़ाई ,मुझको चुभाने के लिए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'       

शुक्रिया

            शुक्रिया

जिंदगी बन गयी मेरी ,एक सुन्दर ,मधुर धुन,
मेरे सुर से मिलाया ,तुमने, उस सुर का शुक्रिया
जिनने अपनी पाली पोसी ,बेटी मुझको सौंप दी,
शुक्रिया उस सास का और उस ससुर का शुक्रिया
मै तो था एक गोलगप्पा ,हल्का फुल्का ,बेमज़ा,
खट्टा मीठा पानी बन कर ,स्वाद तुमने भर दिया
मेरे मन में चुभ के मुझको ,पीर मीठी दे गयी,
मिल गयी मेरी नज़र से,उस नज़र का शुक्रिया
दिल का मेरे चमन सूखा था,बड़ा बदहाल था ,
तुमने सींचा प्यार रस से ,और महक से भर दिया
 जिसने लायी जिंदगी में ,बहारें और मस्तियाँ  ,
उस गुले गुलजार का ,जाने जिगर का शुक्रिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
 

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

भरोसा कोई न कल का

        भरोसा कोई न कल का

बहुत कर्म कर लिए ,निकम्मा आज हो गया ,
                          करना चाहे  लाख ,मगर ना कुछ कर पाता
धीरे धीरे शिथिल हो रहा तेरा तन है ,
                           अपने मन में हीन भावना ,क्यों है लाता
सच ये तेरा क्षरण हो रहा साथ समय के ,
                            हर पग तेरा ,बढ़ता जाता ,मरण राह पर
जीर्ण क्षीर्ण हो रही तुम्हारी कंचन काया ,
                            लेकिन तेरा ,नहीं नियंत्रण ,कोई चाह पर
बहुत जवानी में तू खेला,उछला कूदा ,
                             बहुत प्रखर था सूर्य ,लग गया पर अब ढलने
पतझड़ का मौसम आया ,तरु के सब पत्ते,
                              धीरे  धीरे सूख  सूख  कर लगे  बिछड़ने
यह प्रकृति का नियम ,नहीं कुछ तेरे बस में,
                               जो भी आया है दुनिया में ,वो  जाएगा
बस तेरे सत्कर्म ,काम आयेंगे तेरे ,
                                 जिनके कारण तुझको याद किया जाएगा
लाख छोड़ना चाहे तू ,पर छूट न पाती ,
                                  अब भी मोह और माया ,मन में बसी हुई है
और  कामना के कीचड में तेरी किश्ती,
                                  निकल न पाती,बुरी तरह से फसी हुई है
क्यों तू इतना दुखी हो रहा,खुश हो जी ले,
                                   जितने भी दिन बचे ,उठा तू सुख हर पल का
कल कल करती जीवन सरिता ,कब सागर में ,
                                   मिल,विलीन हो जाए ,भरोसा कोई न कल का

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'  
   

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

कच्चा पक्का

   

आओ तुमको बतलाते है ,कुछ पक्के ,कच्चे की बातें 

कच्चे आमों को चटखारे,ले लेकर ,दुनिया खाती है 
अमिया का बना मुरब्बा या फिर पना अचार बनाती है 
जब पकते है  तो आम मुलायम ,होते रसवाले ,मीठे 
कोई खाता है काट काट ,तो कोई मुंह ले रस चूसे 
है राजा आम फलों के पर ,ज्यादा दिन तक ना टिक पाते 
आओ तुमको बतलाते है,कुछ पक्के ,कच्चे की बातें 

जब कच्ची उमर हमारी थी ,हम नटखट थे ,शैतान बहुत 
दुनियादारी में कच्चे थे ,जीवन पथ से अनजान बहुत 
जब थोड़े पके,जवानी आयी ,शादी की ,मुस्तैद हुए 
जिम्मेदारी आयी सर पर ,तो पक कर बाल सफ़ेद हुए 
अब ढीले ढाले और  निर्बलहै,हम अब बूढ़े कहलाते 
आओ तुमको बतलाते है,कुछ पक्के,कच्चे की बाते 

बिजनैस में आये तो देखी फिर डीलिंग अच्छे अच्छे की 
जिसको भी देखो ,वही बात,करता था पक्के,कच्चे  की 
बिलकुल कच्चे थे बिजनेस में ,पर अकल आयी जब थोड़ी सी 
फिर किया बहुत कच्चा पक्का ,और टैक्स बचाया,चोरी की 
पर गायब मन का चेन हुआ ,हर पल रहते थे घबराते 
आओ तुमको बतलाते है ,कुछ पक्के ,कच्चे की बातें 

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

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