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शुक्रवार, 4 मई 2012

तिलहन,दलहन और दुल्हन

तिलहन,दलहन और दुल्हन

लोग क्लोरोस्ट्राल  से घबराते है

इसलिए तेल कम खाते   है
फिर भी तेल के दाम बढे जाते है
    उपज कम है,इसलिए ,मंहगी है तिलहन भी
सब तरफ  दाल में काला  ही काला है
मंहगाई ने सबका दम ही निकाला  है
दाल बिना रोटी का सूखा निवाला  है
         कम होती है पैदा,मंहगी है,   दलहन भी
नारी तो है देवी,नारी है मातायें
लेकिन नारी को ही,अब बेटी ना भाये
नहीं रुकी कन्या  के भ्रूण  की हत्याएं
           हो जाएगी दुर्लभ,तब मिलना  दुल्हन भी

मदन मोहन बहेती'घोटू'

गुरुवार, 3 मई 2012

जिंदगी जिंदगी कहाँ

जिंदगी का काम ही है अनवरत चलते जाना,
ये जो रुक ही जाये तो जिंदगी जिंदगी कहाँ ;
लगा रहता है जिंदगी में लोगो का आना-जाना,
ना आये जाये कोई तो जिंदगी जिंदगी कहाँ |

माना कि सफ़र में कभी आंसू हैं निकलते,
और कभी होठों पे मुस्कान भी है आती;
खुशियाँ और गम है जिंदगी के ही पहलू,
दो पहलू ना हो तो जिंदगी जिंदगी कहाँ | 

माना कि हैं मिलते कांटे ही कांटे पथ में,
धुप्प-सा अँधेरा कभी दिखाई भी है पड़ता,
जाल फेंक कष्टों का परखती है जिंदगी,
जो संघर्ष न हो तो जिंदगी जिंदगी कहाँ |

बुधवार, 2 मई 2012

गुस्सा या शृंगार

गुस्सा या शृंगार
(घोटू के छक्के )
पत्नी अपनी थी तनी,उसे मनाने यार
हमने उनसे कह दिया,गलती से एक बार
गलती से एक बार,लगे है हमको प्यारा
गुस्से में दूना निखरे है रूप   तुम्हारा
कह तो दिया,मगर अब घोटू  कवी रोवे है
बात बात पर वो जालिम गुस्सा  होवे है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 1 मई 2012

नीम-निम्बौरी: कर सकते संसर्ग,अघोरी कामी साधक

नीम-निम्बौरी: कर सकते संसर्ग,अघोरी कामी साधक:   फेयरवेल-संसर्ग / मिस्र का नया कानून  सदियों से रखते रहे, लोग मिस्र में लाश ।  संरक्षित करते रहे, ममी बनाकर ख़ास । ममी ब...

मजदूर दिवस पर विशेष

मजदूर नहीं, तू है कर्मयोगी
कर्मपथ का है पथिक
तेरी सौंधी खुशबूं हरसौ
बाकी सबकुछ है क्षणिक।

तेरे पसीने की इक बूंद
नया भारत रचती है।
कर्म की परिभाषा तूने
नई रीत रे गढ़ दी है।

है! तुझे मेरा नमन
कर्मपथ पर चल अनवरत।
गूंज तेरे पुण्य कर्म की
गूंजे नभ में अनवरत। 

रचनाकार-हरि आचार्य
राजस्थान





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